*पापा*
पिता की चुप्पी भी कभी कभी
बिन कहे बहुत कुछ कह जाती है
सच कहूं तो हमारे लिए, उनकी
थकान भी मुस्कराती है
साइकिल के डंडे पर अपना अंगोछा
बांधकर हमे बैठालते थे
और पांव जब कभी नंगे हो तो
एक पल को भी नीचे नहीं उतारते थे
बस हमें सीने से लगाकर पोंछ लेते थे
अपने पसीने को
हमने हंसकर पहली बार *पापा* क्या बोला?
स्वीकार कर लिया हमारे लिए
है दर्द पीने को
सुबह मंजन न करने पर हमें बहुत
डांटते फटकारते थे
लेकिन अपनी थाली का पहला
निवाला हमें ही खिलाते थे
उनके हाथों का स्पर्श हमें जिंदगी
का अहसास कराती है
सच कहूं तो हमारे लिए उनकी
थकान भी मुस्कराती है
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👉From Sitapur, UP
👉JOINED - 8 July 2018
👉UPSC Aspirant
👉(No Collabs) 🙏
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मानव तूने सबकुछ खोया
पड़ दिवा स्वप्न के फेर में
प्रेम का मीठापन मिलता है
शबरी के जूठे बेर में
सुंदरता है अंतर्मन की
बाहर तो बहकावा है
स्वर्ण सरीखा दृष्टिबोध जो
मिथ्या और छलावा है
शुद्ध सोच से विलग हुआ
बस करके देर-सबेर में
मानव तूने सबकुछ खोया
पड़ काल्पबिंब के फेर में..
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जब कभी भावों को सहेज कर
तुम्हारे समक्ष रखता हूं
तुम मुस्कराकर मना कर देती हो..
सच, एक बात कहूं ऐसा करके
तुम मेरे प्रेम को और घना कर देती हो..-
महक उठता है तन मन ये
यादें तंग करती है
अकेलापन सताए जब
ये यादें संग रहती है-
कुछ यादें सूख गयीं है पन्नों में
पंखुड़ियाँ बनकर,
उनकी खुशबू को गुलाब में
रख लेता हूँ..-
कभी कभी अपमान, दर्द, दुःख को
छिपाकर ..
चेहरे पर एक अच्छी सी smile
चिपका कर,
बहुत बेहतरीन acting करनी पड़ती है..
और जिस दिन acting गड़बड़ाती है..
सारे रिश्तें
बिखर जाते हैं...😊
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किसी ने कहा था कि हम देश को
रोशन करेंगे..
पर हमें ये नहीं पता था कि
दीपक की जगह चितायें होगी..😢
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जिन्दगी जब तू हाथ छोड़ती है
तो मौत आगे आकर थाम लेती है...
मुझे बस इतना बता दे...
तुम दोनों में से
मेरा अपना कौन है??-