फिर वही बरसात आयी है
तुम्हारी याद साथ लाई है
वो शाम जब भीग जाते थे हम दोनो
आज फ़िर वही शाम आई है
फर्क सिर्फ़ इतना सा है
आज हाथों में चाय की प्याली
और होंठों पे तेरी जिक्र आई है
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परिंदे तुम भी थे
परिंदे हम भी थे
बसेरा एक ही था
दोनों का
जले तुम भी थे
जले हम भी थे-
कम पड़ जाते हैं
अल्फाज़ तेरे तारीफों में
मै लिखूं तो क्या लिखूं
जो इश्क़ हमें तुमसे है
वो इश्क़ बेशूमार लिखूं-
अहमियत तेरी बातों का
मैं आज भी करता हूं
तुझसे दूर होकर भी
तेरा खयाल आज भी रखता हूं
फ़र्क सिर्फ़ इतना सा है
तू समझ न सका हमारे मोहब्बत को
ये दर्द -ए -इश्क़ मैं आज भी सहता हूं-
तुम किताबों में लिपटे हुए ,वो पन्ने हो
जिसे मैं हर रोज पढ़ता हूं
कहीं भूल न जाए ये आदतें मेरी
खुदा से पहले तेरा नाम लेता हूं-
टूटते तारों से शिकायतें बहुत हैं
भूले ना जो तेरी ऐसी यादें बहुत है
संभाल सकूं खुद को ऐसी खयालातें बहुत है
अब तो हर लफ़्ज़ भी शायरी बन जाते है
ए खुदा ये इश्क़ की जज्बातें बहुत है
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बेरंग सी ज़िंदगी में
तूने खुशियों का रंग भर दिया
थाम कर मेरा हाथ
मेरे गमों को भी
अपने संग कर लिया-
तेरे चेहरे की रूहानियत
मेरे दिल को छू जाती है
तुझसे दूर जाने की हर कोशिश
तेरे और पास लाती है
डर लगता है कहीं
फिर से तुझसे प्यार न हो जाए
तू मेरा होके भी मुझसे दूर न हो जाए
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ख्वाबों की रोशनी में
ज़िंदगी खूबसूरत दिखती है
खुली आंखों से तो सिर्फ
जिंदगी की जरूरत दिखती है-
कुछ तो अच्छा हुआ होगा
जो तुम मेरे साथ थे
मौजूद थे हर वक्त तुम
मेरे हर खुशी का एहसास थे
जो बीत गया वो मुलाकात थे
मेरी कहानी का एक खूबसूरत क़िरदार थे
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