वो अपने लफ्जों में शरारत लिए फिरती है
जिंदादिली की नयी आदत लिए फिरती है
फकत आंसुओं में भी हंसी ला देती है
वो जाने कौन-सी खुदा की इबादत लिए फिरती है।
जितनी खुशियां मिलती नहीं उतनी तो बांटती फिरती है
जाने वो अपनी झोली में कितनी राहत लिए फिरती है
वो अपने लफ्जों में शरारत लिए फिरती है ।।
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किसी अजनबी डोर से बंधकर
दिल को पतंग कर दिया,
आंखों ने पेंच लड़ाई तो
इश्क ने जंग कर दिया।
दिल के नीले आसमान में
चाहत के कई रंग बिखरे,
तुमने हवाओं में
जुल्फ लहराई और
अपनी खुशबू से
सब एक रंग कर दिया।-
सदियों भूलाकर कहते हो कि ,
अब प्यार ज्यादा है,
कोई आने वाला तो नहीं
पर अब इंतज़ार ज्यादा है।
लंबी दूरियों से ,
जो प्यार का हश्र हुआ है
दिल टूट कर भी अब लाचार ज्यादा है
यकीं मुझे हो चुका था कि
अब तुम तो आओगी नहीं
इस बिरह से 'अमर' अब
बीमार ज्यादा है
तुम तो सिर्फ सॉरी बोल कर चली आई हो फिर से
इस दिल ने इतना सहा है कि
अब इसमें प्यार कम गुबार ज्यादा है
सदियों भूलाकर कहते हो कि
अब प्यार ज्यादा है।
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पत्तों की चादर में,
फूल-सी लिपटी हुई,
नर्म-नाजुक खूबसूरत
जैसे कोई गुलाब है।
दिसंबर की गुलाबी सर्दी में
-गुनगुनी धूप में सिमटी हुई,
चंदन-सी काया
जैसे कोई ख्वाब है।
चमकते चेहरे की रौशन चांदनी,
आसमा में बिखरी हुई,
अलौकिक स्वर्णिम स्वरूप जैसे,
'धरती पर माहताब' है।-
कोई चाय में इश्क़,
और इश्क़ में चाय पिलाएं,
आंखों से शक्कर और
-प्यार हाथों से मिलाएं,
जज्बातों के अदरक
पिघले बटर जैसे,
प्यार में इलायची,
जैसे टूटके मुस्कुराए,
हो खुशबू ऐसी
-की दीवाना बनाए,
इश्क़ में ऐसी चाय,
जो बस लबों को छू ले और
-जुबां पे स्वाद आ जाए।-
तु जब मिले तब मिले,
अभी तो दिल मिला लें हम।
दोस्ती एतबार प्यार,
चलो सब आजमा लें हम,
हुस्ने-दीदार के इंतजार में क्यों,
ये हंसी पल गवां लें हम,
शिकवा करें,
गुस्सा करें,
और अभी हीं मुस्कुरा लें हम।
खूब गुजरेगी जिंदगी,
जो तुझ को अपना बना ले हम।
तुम पर लिखी गजल ,
चलो सब को सुना लें हम।
तु जब मिले तब मिले,
अभी तो दिल मिला लें हम।-
हर सफर की हमराह
हमराज 'चाय'
कोई इश्क में चाय
और चाय से इश्क पिलाए
तो मिले दिल को सुकून
और जुबां पर स्वाद आए।-
चाय से ही रिश्तो में मिठास है,
चाय पे बुलाना तो बहुत ख़ास है,
चाय पर मिलना भी कम तो नहीं,
चाय में भी अब एक अनोखा रास है।-