Amar Wadhwa  
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Joined 24 June 2021


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31 JAN 2023 AT 21:43

श्राप -४
उस दिन हम एक पार्टी में मिले, तुम इधर उधर घूम कर सबसे मिल रही थी और मेरी आंखें तुम्हारा ही पीछा कर रही थी । अचानक तुम मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं -
चलो, मैं आ गई हूं, अब जी भरकर देख लो - तुम दिल की बात कैसे समझ लेती हो? और बेझिझक बोल भी देती हो? और एक मैं! यह भी नहीं कह पाया- उम्र भर के लिए यूंही सामने खड़ी रहो न, मैं तो ताउम्र तुम्हें देखना चाहता हूं।........,.
और अभी कुछ दिन पहले मेरी रही हूई दूसरी आंख को भी पट्टी बांध दी गई।

मुझे तो सिर्फ इतना याद है कि तुम किसी बात पर बहुत नाराज़ हो गई थी, वो बात क्या थी, मुझे बिल्कुल याद नहीं ( तुम्हें याद है?) र गुस्से में आकर श्राप दे दिया, भगवान तुम्हारी दूसरी आंख की रोशनी भी खत्म कर दे!

मेरे अपनों नै जो भी मुझे दिया है वो मैंने सहज स्वीकारा है। आज तुम्हारा श्राप फलीभूत हुआ और मैं नै कसम खाती कि आज के बाद, किसी भी 'स' से शुरु होनेवाले नामधारी से निकटता न बढ़ाऊंगा।

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31 JAN 2023 AT 19:44

श्राप - अंक ३
और उसकी शादी हो गई। काफी दर्द हुआ।( शायद) उसे भी। पर.....
फिर मैंने भी घर वालों का कहना मान लिया और मेरी सगाई हो गई।
उसी समय मेरी तुमसे मुलाकात हुई - उस समय तुम्हारा भी किसी से प्रेम प्रसंग चल रहा था। असल में मुझे तुमसे प्यार नहीं था, न ही तुम्हें मुझसे, पर अजीब संजोग था!
तुम्हारा नाम भी "क' से शुरू होता था।
तुम- पर मेरा नाम सुबोधनी है! ' क" से शुरू नहीं होता।......
उन सभी का भी 'स' शुरू होता है/था, 'क' से नहीं। मैं ने झूठ कहा था।
पर क्या फर्क पड़ता है? हम तो सिर्फ दोस्त थे, उससे अधिक कुछ भी नहीं। तुम अपनी जीवनचर्या में व्यस्त थी, मैं अपनी मैं और देखते देखते ३०/४० वर्ष न जाने कैसे हाथ की मुट्ठी से रेत की तरह फिसल गए। क्या प्यार की भी कोई उम्र होती है? मुझे तो तुम अभी भी....
तुम सभी लड़कियां दिल की बात कैसे जान लेती हो? या सिर्फ तुम मेरे दिल की बात जान लेती थी/हो?
अभी बाकी है

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28 JAN 2023 AT 23:24

श्राप - अंक २
तुम दूसरे दिन, अपनी सहेली के साथ, फिर आफिस के कैंटीन में आई थी और सिर्फ एक ही वाक्य कहा - मुझे तुम्हारी बात मंजूर है।.....
मुझसे फिर एक भी निवाला न खाया गया। जैसे पूर्ण तृप्ती प्राप्त हो गई।....
उसके बाद के दिन, मेरी जिंदगी के बेहतरीन दिन थे। ये एक अलग बात है कि मुझे अपने घरवालों को समझाने में काफी मेहनत/मशक्कत करनी पड़ी।....
और एक दिन उसने अपनी आफिस के नजदीक मुझ जल्दी से आने के लिए कहा..
मायूस चेहरे से फिर एक ही वाक्य - पिताजी नहीं मान रहे ...
मेरे सीने में एक दर्द की लहर सी उठी और चेहरे पर एक शिकन_ क्या हुआ? उसने घबरा कर पूछा।...
Curse ,૦f 'K'- once againl
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28 JAN 2023 AT 20:49

मैं तुम्हारी हाथों की लकीरों में खुद को ढूंढ़ता हूं,
अपने हाथों की मुटठीयो में , बालू को बंद करता हूं।

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28 JAN 2023 AT 20:42

ज़ख्म कुछ गहरे ही दे जाना।
सादगी से मैं तो न जी पाया,
हो सके तो तुम मेरे बाद भी जी लेना,
तुम किसी से फिर से प्यार कर लेना।

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28 JAN 2023 AT 20:33

श्राप - अंक १
सुनो, क्या एक सच्ची कहानी सुनना पसंद करोगी?
क्या कहाऩिया भी कभी सच्ची होती हैं?- तुमने हंस कर कहा।
वैसे तो शायद यह जीवन भी झूठा ही होता है, खैर सुन ही लो। सच और झूठ का फैसला फिर कभी करते रहेंगे।
सब से पहला प्यार मैं ने जिस लड़की से किया था, उसका नाम था कंचन और हम दोनो चौथी या कक्षा में थे।
धत्! क्या कह रहे हो? झूठे!
दूसरी बार मुझे जिससे प्यार हुआ, उसका नाम भी कुमुदिनी था, यानी की "क" से ही शुरु हो रहा था। अजीब संजोग था। मन ही मन शायद - नहीं पक्का, वो भी मुझे चाहती थी और अपनी सहेली से नजदीक की आफिस मिलने को आना था, सोचा तुमसे भी मिलती चलूं।
और एक दिन मैं जब आफिस में लंच ले रहा था और वो और उसकी सहेली मेरे सामने बैठकर चाय पी रही थीं, हल्के फुल्के लहजे में पूछ लिया, शादी कब कर रही हो? तुम्हारे लिए तो लड़कों की लाईन लगी हुई होगी।
मुझे तो लाईन में कोई नहीं दिख रहा।
लो, मैं खड़ा हूं, कह कर मैं हंसकर खड़ा हो गया।
अभी और है-----

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19 JAN 2023 AT 21:00

क्योंकि उस राह पर तू चल रहा था।

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19 JAN 2023 AT 20:57

मैं तो उसके हिस्से का भी दुःख उठा लेता,
अगर वो मुझसे प्यार कर लेता।

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19 JAN 2023 AT 20:19

या कोई हवा का झोंका होगा।

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19 JAN 2023 AT 20:09

And GOD KRISHNA is my guide.

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