Amar Singh Chauhan  
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Joined 12 May 2018


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Joined 12 May 2018
14 JAN AT 23:16

When I was a small child, whenever I woke up, everyone used to put me to sleep thinking that if I woke up, I would create a ruckus.
Even today everyone keeps trying to make me sleep.

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21 DEC 2023 AT 21:02

It takes people a lifetime to figure out "Who am I ? ".
But the truth is that the “I” they are searching for does not exist. That's why they can never figure out " who am I ? ".

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29 AUG 2022 AT 0:04

धड़केगा ये दिल तेरे जाने के बाद भी,
चलती रहेंगी मेरी साँसे तेरे जाने के बाद भी,
मै सिमट गया हूँ यूँ तुझमे की
तु मेरे पास ही रहेगी तेरे जाने के बाद भी।

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5 JUN 2022 AT 21:30

मैं तोड़ता हूँ खुद को हर दिन थोड़ा सा ज्यादा
वो हर दिन मुझे पहले से ज्यादा जोड़ देती है,
मैं रोकता हूँ खुद को साँस लेने से उसके बिना
वो चुपके से मेरे पास अपनी साँसे छोर देती है,
उसको भी मंजूर नहीं मौत का सुकून मेरे बगैर,
वो उठ आती है हर रात कब्र से अपनी
और मेरी बाहों मे फिर अपना दम तोड़ देती है।

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20 MAY 2022 AT 11:53

नज़रे ख़ामोश थी उसकी
मन में मेरे शोर था,
उसके कदमों में थी मेरी परछाईं
मेरी हर सांस पर उसका ज़ोर था,
खून टपक रहा था बदन से मेरे,
उसके चहेरे पर मौत का सुरूर था,
सहम गया मैं ख़ुद को देख कर आइनें में
मुझें लगा जैसे मैं कोई और था ।

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11 MAY 2022 AT 17:10

उसकी चीख सुनाई देती है
उसके खामोश हो जाने के बाद भी,
वो तड़पी होगी बहुत
धड़कन थम जाने के बाद भी,
उसके दर्द ने मौत को ज़िंदगी से जुदा न होने दिया
वो अब भी जिंदा है मर जाने के बाद भी ।

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31 MAR 2022 AT 11:24

" बिस्तर किसी और का था याद तेरी थी,
जिस्म भी किसी और का था पर तलाश तेरी थी "

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27 MAR 2022 AT 23:35

अंजाम-ए-मोहब्बत से हम दोनों ही खबरदार नहीं,
तुम्हें इश्क़ कहां मुझ से
मैं भी तुमसे वफ़ादार नहीं ।

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26 JAN 2022 AT 13:01

मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता,
धागे उलझे हैं जो वफ़ा के उन्हें सुलझा तो नहीं सकता,

मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता।

महफूज़ रखूँगा तुम्हारी यादों को अपने ख्यालों में,
अपनी बाँहों में मैं अब तुम्हें सुला तो नहीं सकता,

मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता।

छुपा लूँगा तुमसे जो गम मिलें हैं मुझे,
ये दिखा के मैं तुम्हें अब रुला तो नहीं सकता,

मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता।

वास्ता तो नहीं मेरा उससे जो दीया जलाया था तुमने आँगन मे मेरे,
हर तरफ अँधेरा है अब मैं इसे बुझा तो नहीं सकता।

मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता।
मैं इश्क़ तुम्हारा यूँ भुला तो नहीं सकता। — % &

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17 OCT 2021 AT 20:22

जो शाश्वत है उसे समझा नहीं जा सकता,
आप इसे केवल महसूस कर सकते हैं,
इसके साथ जुड़ सकते हैं,
और जब आप ऐसा करते हैं,
तो आप अपने आप को शाश्वत पाते हैं।

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