मौसम का हाल लिखूं
या मन का बवाल
बहतर है आज अधुरा
ही छोड़ देता हु-
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Do not fo... read more
बुराई ढूंढने के लिए
सिर्फ नजर चाहिए
अच्छाई ढूंढने के लिए
नियत चाहिए
वो भी साफ़!-
उड़ने की शर्तों पर मिले न मिले
मंजूरी
न की थी ना कर पाएंगे किसी की
जी हजूरी
घमंड नहीं है साहब किरदार है ये
मेरा
गलत को गलत ,सही को सही कहूं
फिर चाहे हो विधायक बाप तेरा-
ये भीतर के ही कांटे है
जो चुभ रहे है,
बाहर क्या ही है जो
तड़पाएगा
कश्मकश है क्या मन
उभर पाएगा
दशहरे आकर चले गए कई,
क्या? कभी भीतर का रावण
मर पाएगा....?????.-
घर से , घर के लिए निकले थे
अब साथ अधूरी ख्वाइशों के घर कैसे जाया जाए
आओ फिर से कोशिश करते है
न थक यूं! कहीं मां बाप की मेहनत न *जाया* जाए-
निराश मत होइए अगर आप मुझे समझे नहीं
मैं खुद नही चाहता कि, अब कोई मुझे समझे-
मुक्कम्मल नहीं हो सकी
पर हमारी एक कहानी तो थी
बेशक आज किसी ओर का हक है उसपर
पर, एक जमाना था वो मेरी दीवानी तो थी-
बस फना होना लिखा है
क़िस्मत में
लगता है जिंदगी इसी शर्त
पर मिली है-
डरता नहीं हूं महफिलों से,
बस आना नही चाहता
क्या करें तुम्हारे शोर से
मेरी खामोशियों का घाटा होता है
-
बहुतेरे खोए , बहुतेरे खोने है
जीवन पथ पर अनगिनत चयन होने है
बदलते वातावरण में या तो बदलना
पड़ता है या फिर त्याग करना पड़ता है
मैंने त्याग का चयन किया है-