Amar Rajendra Mendke   (Mr.brood✍️)
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Joined 17 January 2020


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Joined 17 January 2020
20 JUN 2022 AT 23:34

मौसम का हाल लिखूं
या मन का बवाल

बहतर है आज अधुरा
ही छोड़ देता हु

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18 JUN 2022 AT 23:56

बुराई ढूंढने के लिए
सिर्फ नजर चाहिए
अच्छाई ढूंढने के लिए
नियत चाहिए
वो भी साफ़!

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16 JUN 2022 AT 22:46

उड़ने की शर्तों पर मिले न मिले
मंजूरी
न की थी ना कर पाएंगे किसी की
जी हजूरी
घमंड नहीं है साहब किरदार है ये
मेरा
गलत को गलत ,सही को सही कहूं
फिर चाहे हो विधायक बाप तेरा

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14 JUN 2022 AT 22:15

ये भीतर के ही कांटे है
जो चुभ रहे है,
बाहर क्या ही है जो
तड़पाएगा
कश्मकश है क्या मन
उभर पाएगा
दशहरे आकर चले गए कई,
क्या? कभी भीतर का रावण
मर पाएगा....?????.

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29 MAY 2022 AT 21:41

घर से , घर के लिए निकले थे
अब साथ अधूरी ख्वाइशों के घर कैसे जाया जाए
आओ फिर से कोशिश करते है
न थक यूं! कहीं मां बाप की मेहनत न *जाया* जाए

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26 MAY 2022 AT 22:11

निराश मत होइए अगर आप मुझे समझे नहीं

मैं खुद नही चाहता कि, अब कोई मुझे समझे

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25 MAY 2022 AT 23:09

मुक्कम्मल नहीं हो सकी
पर हमारी एक कहानी तो थी
बेशक आज किसी ओर का हक है उसपर
पर, एक जमाना था वो मेरी दीवानी तो थी

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21 MAY 2022 AT 23:16

बस फना होना लिखा है
क़िस्मत में
लगता है जिंदगी इसी शर्त
पर मिली है

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8 MAY 2022 AT 23:28

डरता नहीं हूं महफिलों से,
बस आना नही चाहता

क्या करें तुम्हारे शोर से
मेरी खामोशियों का घाटा होता है

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29 APR 2022 AT 23:05

बहुतेरे खोए , बहुतेरे खोने है
जीवन पथ पर अनगिनत चयन होने है



बदलते वातावरण में या तो बदलना
पड़ता है या फिर त्याग करना पड़ता है

मैंने त्याग का चयन किया है

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