लिबास कितना भी कीमती हो जाए,
घटिया किरदार को कभी छुपा नहीं सकता...-
जब लहजे बदल जाएं तो वज़ाहतें कैसी,
नए मयस्सर हो जाएं तो पुरानी दोस्ती कैसी...-
ये जिंदगी चुपके से कुछ कह रही है,
मेरे कानो में अकेले कुछ गुनगुना रही है,
चल जारी रख अपने सफ़र को अभी,
तुझे तेरी खुद की मंज़िल पास बुला रही है...-
हमारी कहानी हम ही को पता है,
बर्बाद जवानी हम ही को पता है,
सबको पता है हम ज़िंदा है मग़र
कैसे है ज़िंदा हम ही को पता है...-
मेरे हाथ किसी से छूटे मिलेंगे,
यहाँ सब कुछ मेरे लुटे मिलेंगे...
वादे तो अक्सर टूट जाते हैं,
ज़माने में लोग झूठे मिलेंगे...
हम फ़ूल है,हम आईने भी,
बदकिस्मती से हम टूटे मिलेंगे...
ढाये तुमने सितम माना मगर,
हाथ दुआ में फ़िर भी उठे मिलेंगे...
तुम आओगे तो पाओगे मुझे,
हम ख़ुद से ही रूठे मिलेंगे...-
मकान कच्चे थे,
पर दिल बहुत सच्चे थे,
ये उन दिनों की बात है,
जब हम भी बच्चे थे,
उनसे ही प्यार बहुत होता था,
जिनसे ज्यादा पिटते थे,
पैसे भी कम,
थी ख्वाहिशों में दम,
पर दिन बहुत अच्छे थे...-
इल्म जब होगा किधर जाना है,
हाय तब तक तो गुज़र जाना है,
जिंदगी इक लम्हे में सदियाँ जीना,
जिंदगी इक लम्हे में मर जाना है,
जिंदगी कहता है भटकते रहिए,
और तुम कहते हो घर जाना है...-
इस धोखे के दुनिया में किस किसकी पहचान करे,
कर रहे है छल अपने भी अब किसकी गुणगान करें...-
धोखा...
यारो इधर कौन, किसका सगा है,
मौका मिलते ही, सभी ने ठगा है...
चुभते हैं हर वक़्त तीर अपनों के,
हर कदम पे यारो, मिलता दगा है...
मतलबी दुनिया मतलब के दोस्त,
हर कोई इज़्ज़त, मिटाने पे लगा है...
अपने वजूद को कोई कैसे बचाये,
हर तरफ, अँधेरा ही अँधेरा टंगा है...
न मिलते कहीं पे खुशियों के छींटे,
हर कोई ग़म की, चाशनी में पगा है...
कोई न समझेगा तेरे दर्द को 'अमर',
इधर हर कोई अपने, रंग में रंगा है...-
*रावण की पुकार...*
वह रावण था जो जलता रहा,
जल जलकर यह पूछता रहा,
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