Amar Deep Kumar   (Amar Deep)
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A writer speaks less, writes it all in fewest possible words.
Joined 4 December 2019


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24 FEB 2023 AT 15:25

ये सच है,
रौशनी और चमक तेरी बड़ी शीतल है,
ऐ चांद सुनो, कुछ कहना है,
भले दुनिया तुझे तवज्जो देती,
सच बता दूं?
तू केवल एक आईना है,
क्योंकि चादर तो तुमने मेरे चांद का पहना है।
🤗🌙🌛🌜🌝

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18 FEB 2023 AT 11:13

वो कृपा के सागर, करुणानीधार हैं,
वो अति सूक्ष्म हैं, अनंत व्यापक संसार हैं,
वही भोले हैं, वही रुद्र हैं,
वही भक्ति, साहस, यथार्थ मित्र हैं,
वही सृजनकार, विनाशक, पालनहार हैं,
वही वैरागी सुन्य सा, एकाई का वही आधार हैं,
अविनाशी, अंतर्यामी, अंतर मन में बसने वाले,
केवल एक पत्र से प्रसन्न होने वाले,
वो अंधकार में भी प्रज्वलित दीप हैं,
याद जो करे सच्चे मन से, भोलेनाथ उनके समीप हैं।

हर हर महादेव 🙏🙏
ॐ नमः शिवाय 🙏🙏

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24 DEC 2022 AT 2:35

तुम रहने तो आओ,
तुम्हारे लिए गांव बन जाएंगे,
कड़कती धूप में भी
तुम्हारे लिए छांव बन जाएंगे।

रक्षा में तुम्हारी पर्वत सा अटल रहेंगे,
रेगिस्तान में भी शीतल जल सा बहेंगे,
कांटों के बीच भी तुम्हें महफूज़ रखेंगे,
तुम्हारी ख़ामोश इल्तिज़ा को भी पढ़ेंगे।

कभी रहने तो आओ,
तुम्हारे लिए गांव बन जाएंगे,
कुछ अपना सा बनाओ,
तुम्हारे होकर रह जाएंगे।






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5 NOV 2022 AT 9:18

Just seeing you smile,
My heart pauses for a while,
Bestow me a boon,
Love you endlessly; Earth to Moon,
Want to see that smile forever,
Day, night, in dreams or noon,
Want to hold it, tell aloud,
Yes, I confess; loving, caring you, is what makes me proud!

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3 NOV 2022 AT 15:50

तारीफ में तुम्हारी क्या लिखूं
के शब्द कम से पड़ने लगे हैं,
दिल पढ़ सकती हो तो पढ़ लो,
आंखें मेरी सब कहने लगी हैं।
काश आईना बन जाता मैं,
खुद को मुझमें देख पाती तुम,
इतना हसीन कोई कैसे हो सकता है?
ये सोच खुद को मुझसे चुरा लेती तुम।

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15 OCT 2022 AT 18:46

Remember,
You're chosen to fly,
Wait, don't be sly,
Strike confusion, have faith,
Felicity will come, mate.

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15 OCT 2022 AT 18:41

Ask poet about first love,
Nature, beauty, love, you think?
"Pen and poem", he'll reply,
Love love later; he'd wink.

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15 OCT 2022 AT 18:26

Maturity is when you realise to stay quiet, concealing emotions, preserving might.
If few untold stories help strengthen bonds, let the secret be at its height.


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13 OCT 2022 AT 21:03

शायद, मिलना था ही नहीं...

तुम सुबह की चाय की प्याली जैसी,
मैं रात का बासी खाना,
तुम अमावस में रौशन दिवाली जैसी,
मैं पतझड़ का मौसम हूं, माना,
तुम फूलों में भी गुलाब जैसी,
मैं केवल गेंदा का पैदा हूं, माना,
तुम इत्र लाज़वाब ऐसी,
मैं महकता जैसे कोई महखाना।

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5 OCT 2022 AT 1:35

अपनी हर खुशी देंगे तुम्हें,
ज़िंदगी में मिठास थोड़ा ज्यादा भर जाना,
खुद को आधा हम पूरा करेंगे,
बाकी, तुम आधा बन जाना,
अगर मिलना ना लिखा हो क़िस्मत में,
दिल में मलाल लेके ना रह जाना,
सोचना, तुम्हारे लिए मैं कृष्ण हूं,
बस, तुम मेरी राधा बन जाना।

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