Amar Bhagwan Agame   (डॉ.अमर)
7 Followers · 7 Following

Writer,Poet,Medico,Atheist,Dilwale😉
Joined 20 July 2019


Writer,Poet,Medico,Atheist,Dilwale😉
Joined 20 July 2019
17 MAR 2022 AT 9:51

हाल क्या पुछते हो मेरा
मै तो गझले सुना रहा हू बहरो के शहर मे
जैसे चांद को ढूंढ रहा हू भरे दोपहर मे

-


16 SEP 2021 AT 20:02

यू तो सवरते थे हम,किसी मे भी समाने से पहले
अब तो मेरा आशियाना आप का दिल,
जब भी कुछ जमाना पूछ ले
चाहे कुछ भी जमाना कह ले

-


16 SEP 2021 AT 20:01

यू तो सवरते थे हम,किसी मे भी समाने से पहले
अब तो मेरा आशियाना आप का दिल,
जब भी कुछ जमाना पूछ ले
चाहे कुछ भी जमाना कह ले

-


2 SEP 2021 AT 18:48

in the era full of whats app,instagram and snapchat,be someone's text message

-


15 AUG 2021 AT 12:01

हा,
बिलकुल ही सही !
मनाना ही चाहिये आझादी का जश्न
बलिदान,संघर्ष,समर्पण से जो कमायी है
लेकीन पैर तू उस तरफ भी जरा घुमा
आंखे उस पे भी कुछ देर तक थमा
और कुछ कर,
उन गरिबो के लिये,मरीजो के लिये
जातीवाद मे जखडे दलितो के लिये
झुठे इंजाम के तहत जैल मे सड रहे
बंधितो के लिये
कर्मकांड मे फसे अंधविश्वास के शापितो के लिये
दुष्काल से मारे किसान पिडीतो के लिये
इन सब के लिये भी तू कभी आवाज उठा
जमाना है बरसो से जिनसे रुठा
आवाज उठाने से ही कुछ हो सकता है
थोडी तो हिम्मत तू जूटा
" अरे कुछ नही होगा,बंद कर देगी तेरी आवाज ये सरकारे "
ऐसा मानना ही है तेरा तो मेरे देशभक्त भाई
फिर क्यो मना रहा है आझादी का जश्न झूठा

-


15 AUG 2021 AT 11:55

हा,
बिलकुल ही सही !
मनाना ही चाहिये आझादी का जश्न
बलिदान,संघर्ष,समर्पण से जो कमायी है
लेकीन पैर तू उस तरफ भी जरा घुमा
आंखे उस पे भी कुछ देर तक थमा
और कुछ कर,
उन गरिबो के लिये,मरीजो के लिये
जातीवाद मे जखडे दलितो के लिये
झुठे इंजाम के तहत जैल मे सड रहे
बंधितो के लिये
कर्मकांड मे फसे अंधविश्वास के शापितो के लिये
दुष्काल से मारे किसान पिडीतो के लिये
इन सब के लिये भी तू कभी आवाज उठा
जमाना है बरसो से जिनसे रुठा
आवाज उठाने से ही कुछ हो सकता है
थोडी तो हिम्मत तू जुटा
"अरे कुछ नही होगा,बंद कर देगी तेरी आवाज ये सरकारे"
ऐसा मानना ही है तेरा तो मेरे देशभक्त भाई
फिर क्यो मना रहा है आझादी का जश्न झूठा ?

-


24 FEB 2021 AT 6:43

बेशकिमती,खूबसूरत पुराने दौर से
कुछ ख्वाहिशे,कुछ लम्हे नया दौर ले रहा है
और पहली बार,बाहर थोडा कम
दिलों के अंदर ज्यादा शोर हो रहा है

-


20 JUN 2020 AT 23:51

राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संतरी बोला रात है
सब बोले रात है
यह सुबह सुबह की बात है...

आम आदमी आयने मे देखके परेशान
अबे इन सब मे तेरी क्या औकात है?


-


12 JUN 2020 AT 20:17

यावर्षी पुल १०१ वर्षांचा झाला.त्याच्या स्टँडअप कॉमेडीला २१ वे शतक मात्र मुकलं.
या पुलाने उदासीनतेतल्या प्रवाश्यांच्या अनेक गाड्या आपल्या छाताडावर पेलल्या.
त्यांना दु:खाच्या या टोकापासून सुखाच्या त्या टोकापर्यंत नेलं.
भंपकपणाचा गतिरोधक कधी लावला नाही.
या चतुरस्त्र कलाकाराला जाऊन आज २० वर्षे झाली.
पुलाखालून बरचं पाणी गेलं तरी पुल हा त्याच जागी उभा आहे.
आपल्या १०१ भन्नाट पुस्तकांच्या काँक्रिटतेमुळे.
कारण सरकारने हा पुल नाही बांधला नाहीतर कोणत्याच 'कार' ने तो बरोबर 'सर' नसता केला.
याचे काम निकृष्ट दर्जाचे नाही.तो 'भाई' नावाच्या विनोदाच्या ठेकेदाराने तयार केला आहे.
साहित्य,कलेच्या या विनोदवीर राजाला 'सलाम'.भाई.

-


27 MAY 2020 AT 14:41

आज तुझा एक अडगळीतला फोटो
माझ्या आठवणीत आहे
मरणानंतरही मरणे मेल्यावर
तो कोण हिरावून घेईल माझ्याकडून?
एक वेळ वाळवीला वाळवी लागेल
एक वेळ कसरीला कसर

-


Fetching Amar Bhagwan Agame Quotes