Amar Agrawal   (अमर)
17 Followers · 3 Following

साधक
Joined 7 May 2020


साधक
Joined 7 May 2020
1 JAN AT 22:17

कुछ यादों को लपेट चादर में,
कुछ ख्वाबों को सजा तकिए तले,
अनायास ही वो मुस्कान बन चली आई,
जैसे छू कर धूप, ओस की बूंदें इतराई।
_अमर

-


18 DEC 2024 AT 21:39

कमी है बस तेरी सोहबत की मुझको

_अमर

-


18 DEC 2024 AT 21:32

Your absence
is
more powerful
than
your presence.
_amar

-


18 DEC 2024 AT 21:29

तुमसे ज्यादा देखी है
तुम्हारे दर ने मेरे आंसु।
सुना है उन्होंने
मेरी खामोश चीखों को
जो तुम न सुन पाई।
तुम अन्दर सोती रही
मैं बाहर रोता रहा।
मुझे अफसोस है
तुम आज भी
मेरी मुस्कान के पीछे
छुपे दर्द को
पढ़ नहीं पाई।
_अमर

-


18 NOV 2024 AT 22:55

कल की आंधी के बाद
हवाओं ने माफी मांग ली,
पर जमीन पर
बिखरे पत्तों ने कराहते हुए
माफ कर दिया
हवाओं को,
उस डाल को,
उस पेड़ को, और
अंततः
अपनी मौत को
स्वीकार कर लिया।
_अमर

-


18 NOV 2024 AT 22:19

पूनम और मावस के बीच
ये चांद की लुका छिपी
मेरे मन का दर्पण ही तो है -
कैसे कह दूं की प्रेम है तुमसे
मेरे हिस्से मेरे असमंजस भी तो है -
तुम्हारा मेरा आलिंगन
जैसे सांसों का सांसों से उलझना
नहीं चाहती की इन्हें सुलझाऊ
पर परिवार का बंधन भी तो है -
मेरी आंखों की खामोशी पढ़ लो
ये भी मेरे मन का दर्पण ही तो है।
_अमर

-


18 NOV 2024 AT 20:50

बड़प्पन है तेरा
की तूने मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया।
_अमर

-


18 OCT 2024 AT 23:26

बहुत मुश्किल है

मरने तक
जिंदा रहना।

-


27 SEP 2024 AT 21:50

तुम घर आई, जूते उतारे और
कुर्सी पर बैठ
एक गहरी सांस लेते हुए कहा -
"आज बहुत काम था दफ्तर में, थक गई"

मैं, अंदर जाकर
दो कप चाय बना लाया
हमने धीरे - धीरे फिर
एक - दूजे की थकान को पिया

आदमी में इतनी औरत और
औरत में इतना आदमी बचा रहना चाहिए।

-


26 SEP 2024 AT 0:55

छाने दो,
पपीहा, कोयल को भी गुनगुनाने दो,
अंधेरा घना था कल पिछली रात,
मुर्दों की बस्ती में थोड़ी जान आने दो,
नई कोपलों का यह एक नया दौर है,
बंदिशों की हद से इन्हे आगे बढ़ जाने दो,
शाखों पर नए पत्तों को मुस्कुराने दो,
उम्मीद का सवेरा फिर से छाने दो।_अमर

-


Fetching Amar Agrawal Quotes