Amanullah   (Amanullah)
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एक शोर है मुझमें जो खामोश बहुत है

मैं एक पहेली हूँ, जिसे आप हल नहीं कर सकते
Joined 21 January 2020


एक शोर है मुझमें जो खामोश बहुत है

मैं एक पहेली हूँ, जिसे आप हल नहीं कर सकते
Joined 21 January 2020
27 MAR AT 15:32

मैं बिहार का भोला जनता
तुम नीतीश कुमार सा धोखेबाज़ प्रिय,

मैं दीवाना लालटेन का
तुम एलईडी का झूठा ख्वाब प्रिय !

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29 JUN 2022 AT 10:25

बहूत हुआ यारी अब यार नहीं रहना,
मतलब से भरी है दुनिया,
मुझे भी अब बाजार नहीं रहना !

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29 JUN 2022 AT 10:08

तुम्हारे बाद किसी और को चाहा ही नहीं हमने
हमें मोहब्बत थी तुमसे लालच नहीं !

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29 JUN 2022 AT 9:58

कुछ बक्त की यारी है,
फिर सब बिछड़ जायेगा,
अगर तुम नहीं रहे कोई काम के,
तो कोई तुम्हारे काम नहीं आएगा !

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20 MAY 2022 AT 14:20

बस कुछ दूर का और सफर है
फिर सिर्फ याद रह जायेगी
तुम तो पा जाओगी मंजिल
हम मुसाफिर रह जायेंगे !

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11 APR 2022 AT 22:46

हमारे शहर को न जाने ये क्या हो गया
जबसे तुम गयी हो ये बूढ़ा हो गया !

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8 APR 2022 AT 23:10

ज़िन्दगी न पुछा कर अब हाल मेरा
मुझसे सहा नहीं जाता ये सवाल तेरा !

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25 MAR 2022 AT 20:43

चलो तुम्हें हम अपना घर दिखाते हैं
कब्रिस्तान का एक शहर दिखाते हैं !

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20 FEB 2022 AT 7:56

हम जानते हैं की इस सियासत
के दौर में दबा दिए जायेंगे

फिर भी हम अपने गले को
आवाज दिए जायेंगे !— % &

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6 FEB 2022 AT 21:18

समझौता क्यों करें जब खुद ही चलना है
बनके सूरज जब इस शहर में निकलना है !— % &

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