एक दौर वो था कि जादू पर भी यकीन था एक दौर ये है कि हकीकत पर भी शक है एक दौर वो था तुम्हारा प्रेम भी तुमसे अछूता रहा एक दौर ये है किसी अजनबी का तुम पर हक है
"मत पूछो कि तब से अब तक कितना लिखा है सोच सकोगे ना तुम जितना उतना लिखा है सुबह लिखा दोपहर लिखा और शाम को लिखा है मैंने जब जब लिखा तुम्हारा नाम ही लिखा है"
मत पूछो कि तब से अब तक कितना लिखा है सोच सकोगे ना तुम जितना उतना लिखा है सुबह लिखा दोपहर लिखा और शाम को लिखा है मैंने जब जब लिखा तुम्हारा नाम ही लिखा है