Aman Sri   (Aman Sri)
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Joined 19 January 2023


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6 MAY AT 8:12

2122 / 2122 / 2122
जो लगा था, वो इरादे भी नहीं हैं,
अब दिखा तो, वो पियादे भी नहीं हैं।

तोह तुमको वहम हैं, तुम ही अकेले
हो, बहुत है सब बताते भी नहीं है।

मत बनो उनके जिसा, जो काम होने
पर, नयन यूं ही मिलाते भी नहीं है।

दूर बैठे चांद को सबने पुछा पर,
पास जुगनू को बिठाते भी नही है।

वो पराये ही सही है ज़ख़्म कम ना
कर सके तो फिर बढ़ाते भी नहीं है।

हर दफा वो ही सही हैं फिर क्यूँ हम
को सही मार्ग दिखाते भी नहीं हैं।

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4 MAY AT 12:07

हजारों आंधियां-तूफान आई, लेकिन इक कतरा तक ना हिला
और एक मौन क्या छाया, अंदर रुह तक हिला गई...

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27 APR AT 9:51

तुम देखों, जपता हरी का नाम दिखूंगा
कहो प्रेम, उर्मिला-लक्ष्मण नाम लिखूंगा

तुम दे दो, भले मिसाल लैला-मजनू का
मैं तो आज भी सीता संग राम लिखूँगा

तुम लिखों, कहानी-अपनी माशूका का
मैं हमेशा राधे-कृष्ण सरे-आम लिखूंगा

हर ख़ुशी में, भले संपूर्ण संसार लिखूंगा
लेकिन दर्द में हमेशा मीरा नाम लिखूंगा

कभी प्रेम, को गांधारी, सीता का तोह
कभी इसे मैं राधा का बलिदान लिखूंगा

जब भी बात आए प्रेम में वादों का तो
हमेशा ही इकलव्य की जुबान लिखूंगा

जब भी बात करुंगा क़ुरबानी की तोह
सबसे पहले मैं अभिमन्यु नाम लिखूंगा

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18 MAR AT 8:17

हर किसी की ख़ूबसूरती को आँखो में सँवारा नहीं जा सकता;
कुछ रिश्ते खास होते हैं उन्हें अल्फाजों में उतारा नहीं जा सकता!

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8 MAR AT 0:44

बहुत मुश्किल था,
ये जानते हुए खुद को मनाना की
कोई नहीं आएगा मनाने...

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2 MAR AT 23:54

कभी-कभी सोचता हूँ...

कितने खुशनसीब होंगे वो लोग जिनको अपना
प्यार मिलता होगा;

और कितने बदनसीब होंगे वो लोग जिनके रहते हुए
उनका प्यार किसी और को मिलता होगा...

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27 FEB AT 0:45

.....— % &......— % &

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23 FEB AT 21:09

- क्या हूं मैं तुम्हारे लिए ?
- बहुत कुछ बताने बैठ जाऊं तो रात ख़त्म हो
जायेगी बात नहीं !
- जैसे....

- सूरज की रोशनी, रोशनी में धूप, धूप में छांव,
छांव में सुकून, सुकून में ख़्वाब,
ख़्वाबों की रात, रात में चांद, चांद के सितारे,
सितारों का ज़हां, ज़हां में मैं,
और मुझ में तुम.....

-


19 FEB AT 22:34

चैन से सोना क्या होता है, अब तो भूल ही गया हूं..
रात-रात भर नींद नहीं आती, अगर गलती
से आ भी जाये तो
सोते-सोते अचानक डर के उठ जाता है,
अजीब सी बेचैनी होने लगती है,
लगता है जैसे सीने में कोई खंजर पड़ा है और
उसे कोई बार-बार घुमाये जा रहा है,
हाथ पांव कांपने लगते हैं

जो चीज हाथों में आती उसे कस के पकड़
लेता हूं ये सोच के कोई तो
अपना है मेरे पास,
लेकिन जब रोते-रोते आंखों के आंसू ख़त्म
हो जाते हैं तो महसूस होता है जिसे अपना
समझ रहा था वो मेरा भ्रम था,
कोई नहीं है पास मेरे, मैं अब भी अकेला हूं......

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18 FEB AT 2:56

बहुत सुकून की नींद आई...
जब आज ख़ुद की बाहों में सोया

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