Aman Singh   (AmAn SiNgh)
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Joined 19 July 2018


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Joined 19 July 2018
19 FEB AT 7:57

मैं था, मैं हूँ, मैं ही रहूंगा
ज़िंदगी का हर सफ़र, तेरे साथ चलूँगा।

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4 JUL 2022 AT 11:55

मन कपट तू अमन राखे काहे, मन मेेैल-मेैल हो जाए,
जे तू कऊ को बुरो चाहे, मन भीतर ही लिए समाये,
जे नगरी तोये मन-मन भावे, मन तेरो बिचलित होए जाये।

प्यार नाम तू वस्त्र उतारे, जे तू सबकों नग्न हो जाये,
मिले कोई तेरे मन जैसो, ह्दय भीतर लिए समाये।

प्रेम नाम तू अमन गीत है गाये, देख तू सबसे धोखा खाए,
मिले कोई तेरे नैन पढ़े, भगवान को लीये अपनाये।

खेले जो खेल भावों से, मन भीतर शुकूँ न माफ़ी पाये,
पूजन पत्थरन् पूज लीयो, मात-पिता से कोई बढ़कर न पाये।

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3 JUL 2022 AT 20:42

मन कपट तू अमन राखे काहे, मन मेेैल-मेैल हो जाए,
जे तू कऊ को बुरो चाहे, मन भीतर ही लिए समाये,
जे नगरी तोये मन-मन भावे, मन तेरो बिचलित होए जाये।

प्यार नाम तू वस्त्र उतारे, जे तू सबकों नग्न हो जाये,
मिले कोई तेरे मन जैसो, ह्दय भीतर लिए समाये।

प्रेम नाम तू अमन गीत है गाये, देख तू सबसे धोखा खाए,
मिले कोई तेरे नैन पढ़े, भगवान को लीये अपनाये।

खेले जो खेल भावों से, मन भीतर शुकूँ न माफ़ी पाये,
पूजन पत्थरन् पूज लीयो, मात्-पीता से कोई बढ़कर न पाये।

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3 JUL 2022 AT 14:05

ये हवाओं से जाकर साजिस रची है, मिलकर उनसे मेरे चेहरे पे उतरी हैं,
यूँ तो खुला छोड़ रखा है उन्होंने, जुल्फों पे उनकी मेरी कहां चली है।

जुबां की बातें अब ऑंखें कहने लगी हैं, यूँ इशारों-इशारों में बातें होने लगी हैं,
मोहब्बत है तुमसे ऐसा जताने लगीं हैं, होठों पे उनके मुस्कुराहट सजने लगी है।

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20 JUN 2022 AT 20:04

कागज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल आवारा था।

कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।

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19 JUN 2022 AT 11:55

उंगली थमा जिसने चलना सिखाया, सही गलत का पाठ पढ़ाया।
भेद - भाव का अंतर मिटाया, इंसानियत का धर्म सिखाया।
भूखे प्यासे हम सो न जाएं, खुद को इसलिए धूप में तपाया।
मुश्किल हो रहीं हो जब राह मेरी, मंज़िल पाने का जज़्बा जगाया।
रख हाथ अपना सर पे मेरे, सारी दुनियां जीतने का अहसास जगाया।

मेरे Papa मेरी हिम्मत।

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14 JUN 2022 AT 16:02

इज़हार तो दूर आवाज़ के भी लाले पड़ जाते हैं,
सामने होते है जब वो जुबाँ को ताले पड़ जाते हैं।

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23 FEB 2022 AT 17:20

खूबसूरत है तू इतनी कि जताया मत कर,
काजल आँखों में लगाकर सताया मत कर।

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21 JAN 2022 AT 21:57

मेरी कलम को मिली सौगात हो तुम।
मेरी हमसफर.. मेरी अर्धांगिनी हो तुम।

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2 JAN 2022 AT 11:12

कभी पन्नो में लिखी, तो कभी मेरी आँखों में दिखी,
मोहब्बत तुमसे है, खबर यूँ सारे शहर में बिकी।

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