Aman Singh   (Amansingh6295)
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ONELINERAMAN
Joined 9 September 2021


ONELINERAMAN
Joined 9 September 2021
27 APR AT 19:01

वक़्त ने हमें बर्बाद कर दिया
हवा में उड़ाकर ख़ाक कर दिया
रहते थे कभी हम भी शौक में
हालात ने अब बेज़ार कर दिया
गुरूर में रहते थे ज़ार-ज़ार
गुरूर को तोड़ा नादार कर दिया
खोए हुए थे अपनों की भीड़ में
उन्होंने अपनाने से इंकार कर दिया
फ़िर तन्हाई में बिखेरा अश्कों को
सम्भाल कर उसको अंबार कर दिया
थक चुके थे ख़ुद को संभालते संभालते
न संभल सके तो ख़ुद को बर्बाद कर दिया

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24 APR AT 1:07

बहुत दिनों के बाद ख़ुशी देखी है
दोस्तों के लबों पर हँसी देखी है
हसीन थे चन्द पल दोस्तों के साथ
जिसमें दोस्ती अपनी रंगीन देखी है
कैसे गुज़र गए वो लम्हें पता न चला
बिछड़ते वक्त आंखों में नमी देखी है.....

#Miss you All

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7 APR AT 23:23

ज़रा देखो मैं कैसा हो गया
बिलकुल तेरे जैसा हो गया
क़त्ल किया है मैंने खुद का
फिर ख़ामोश जैसा हो गया
बहुत चुभता था आँखों में
देखो अपनों जैसा हो गया
ख़्यालों में डूबा रहता हरदम
तेरी यादों के जैसा हो गया
मुस्कानों को संभाला मैंने
फिर पत्थर जैसा हो गया......

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13 FEB AT 20:28

किसी की मोहब्बत मुक्कमल हुई
तो किसी का इश्क पूरा हुआ
किसी की ज़ज्बात दफ़्न हुई
तो किसी का साथ अधूरा रहा
कितनों की शहादत मुक्कमल हुई
कितनों का ख्वाब अधूरा रहा
कितने वीरों की तो जुनूँ पूरी हुई
कितनों का सर थर अधूरा रहा
कितने माँ की कोख सुनी हुई
कितनों का तो घर ही उजड़ा रहा
इस पर कितनों की रोटी गरम हुई
कोई देशद्रोही का सम्मान करता रहा

खैर तुम मनाओ माह-ए-फरवरी......

मुझे तो पुलवामा और कई शहादत याद हुई
और ये बात मैंने ना सुनाई तो मैं शायर अधूरा रहा....

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27 JAN AT 20:41

महफ़िल में अपनी एक अल्फाज़ रखता हूं
बतौर-ए-खास अपनी एक ज़ज्बात रखता हूं
मेरे सारी खुशियों की तिजारत एक तरफ़
और माँ की सिखाई बातों को अपने साथ रखता हूँ....

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27 JAN AT 20:34

किसी ने उससे पूछा तेरे पास धन कितना है
तो उसने मेरे और भाई का नाम कह दिया
और हम अपनी पुंजी सारे आम कह दिया
क्या कहता है अपनी जज़्बात आख़िर वो
पापा ने हमें अपना सहर जहां कह दिया....

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25 JAN AT 22:41

क्या कहूँ आज तो मैं शहर हो गया
उनसे रुबरु होना भी कहर हो गया...,
अच्छा लगता है शेर में सादगी मुझे
उनकों देखा तो मैं ग़ज़ल का
मतला,मक़ता और बहर हो गया...।।

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21 JAN AT 17:13

काश समझ जाते..... तुम अंदाज़ मेरा
बस इतना ही सरल है.... मिजाज़ मेरा
इंतजार था मेरी आँखों को तेरी नजरों का
बस इतना ही आसान था इलाज़ मेरा...।।

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20 JAN AT 22:23

चुरा कर निगाहें न पलकें झुका
मोहब्बत अगर है तो वफ़ा कीजिए...,
उदासी कभी तो हटेंगी सभी
अभी तो खुलकर हँसा कीजिए...,
चले जा रहे हो अकेले कहाँ
कभी हाथ थामे चला कीजिए...,
उदासी भरी रात ढल जायेगी
सुबह के लिए बस दुआ कीजिए...,
करे प्यार तुमसे निभाये वफ़ा
न उसे कभी भी दगा दीजिए...,
हमेशा ज़हन की सुने ही तू क्यों
कभी दिल से भी फ़ैसला कीजिए...,
फ़लक पे निगाहें टिका के रखें
मगर इस ज़मी पे चला कीजिए...,
मिलेगा नहीं नफ़रतों से कुछ
कभी तो गले भी मिला कीजिए...,
अमन फ़रेबी जहां में सभी तो नहीं
सही राह पे ही चला कीजिए...।।

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9 JAN AT 14:08

Replying promptly doesn't signal desperation,
Answering calls swiftly, no desperation sensation.
You might not grasp the depth of my soul,
My struggles and feelings, beyond your control.

Alone, I've felt the ache, the silent pain,
Unspoken emotions, like an unending rain.
Understanding me might be a mystery,
My thoughts and feelings, hidden history.

I know the loneliness, its piercing sting,
Unable to express, the heart's silent spring.
In the chambers of my mind, secrets unfold,
A tale of emotions, often left untold.

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