अपने समय से दूर है प्रतीक्षा
प्रेम से मजबूर है प्रतीक्षा
राम समय पर आ गए हैं!
सीता का क़ुसूर है प्रतीक्षा?!-
Sneh se jeevan bunta hu..,
Jag me prem kosh lutane ko..,
Aksh... read more
ये किस तरह कि धुन बजा रहे हो तुम,
इतनी दूर से मुझे बुला रहे हो तुम।
मैंने अभी तुम्हें जाने नहीं कहा,
कितने बेसब्र हो कि जा रहे हो तुम।
आता नहीं कोई मदद के नाम पर,
बड़े बेबकूफ हो कि आ रहे हो तुम।
ये जो लिखते हो तुम शायरी में मोहब्बत
बारिश में आग जला रहे हो तुम।-
स्वर्ग का बाँध
शीघ्र कुछ करने कहा था प्रार्थनाओं!
और कहा था ईश्वर से कह न देना,
कि सूख जाएगा गला इस विश्व का
गर बाँध को बनते रोका न जाए
स्वर्ग के उस छोड़ पर, खाई जहाँ
आरंभ होती है भेद की सीमा,
सीमा वही जो मानवों से
देवताओं को बचाती है,
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें।)
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मेरी बस एक चाहत है,
समय को प्रेम हो जाए।
पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें।-
बारिश
क्या कहकर बुलाऊँ और रोक लूँ बादल
कि मेरे शहर की जरूरत है बारिश!
बहुत सूखता हूँ हर बरसात में मैं,
है कैसा गुनाह गर मोहब्बत है बारिश?
मैं सैलाब से क्या कहकर लड़ूँगा
जब चाहत ही बादल इबादत है बारिश।
कई झूठ सुनकर घर से निकला नहीं था,
मुसाफिर हुआ तब हकीकत है बारिश।-
पाप के प्रश्न
"एक पुत्र अपनी ही माँ को
नोचकर क्यों खा रहा है?"
पाप रोकर पापियों से
प्रश्न करने जा रहा है!
"क्यों लगाते हो कलंक
भूखे शिशु के चोख पर?
क्यों गिरा देते हो बिजली
अपनी माँ की कोख पर?"
(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें)-
रात छूकर जो निकली भोर हो जाएगा,
मत छूना बाँसुरी को, शोर हो जाएगा,
गर तुम्हारे अधर का स्पर्श मिल गया,
और विस्तृत, कवि स्वर घोर हो जाएगा।
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प्रेमधर्म
मैंने प्रेम किया, किया धर्म प्रिया,
जो सकल विश्व का मर्म प्रिया।
पूरा नीचे पढें।-
विश्व का संताप
अभिप्राय क्या है, बंधनों में
बाँधकर खुद को जकड़ने का?
और भविष्य की इन भट्ठियों
पर सपने जलाने का?
अपेक्षाओं, आकांक्षाओं, संभावनाओं
के बेमौत मरने का
अभिप्राय क्या है मेरा तुमसे
प्यार करने का?"
पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें।
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इतना ज्यादा हो जाता है प्यार तुम्हारा
तुमको अपना प्यार छुपाना पड़ता है!
दुनिया तुमको पागल ही तो समझेगी
दुनिया के हिसाब में आना पड़ता है!-