वो मुझे बर्बाद करके मिलती रही गैरो से,
और मै उसकी यादों में बैठा रहा अंधेरो में,
सो भी नही पाता था रात के खामोशियो में,
क्योंकि उसकी आवाज़ गुंजती रहती थी मेरे कानों में,
उसके जिस चेहरे को छुपा के रखा था यादों की गहराइयों में,
वो चेहरा दिखने लगा मुझे मेरे ख्वाबों में,
शायद दिल उसे आज भी चाहता है,
पर उसके चाहने नही चाहने से क्या होता है,
उसने तो मुझे छोड़ दिया,
और मै तनहाई के आगोश में चला गया |
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