Destined for Greatness as
My Destiny
She is Back-
इक मुलाकात में ही हम दो से एक हो गए
एक पथ एक ही मंजिल दो पथिक निशब्द निस्वार्थ
सफर पर एक हो गए जिनकी दोस्ती के किस्से सुन
दुश्मन अनेक हो गए
इक मुलाकात में ही हम दो से एक हो गए
वो प्रेम तरंग का प्रभाव सुध नहीं समय के आयाम की
एक एक पल चल रहा तेज हर पल में जीने लगे है
हीर रांझा हमको देख अनंत शून्य के बीच कहीं खो गए
इक मुलाकात में ही हम दो से एक हो गए-
शब्द ज्वाला उगलते गए
अग्नि दूरियां बढ़ाती गई
शब्द बाण से विलग होकर
अमन ने आज ये बात कही-
मैं फिर खो जाऊंगा, आदत है,
मेरा रूह रूह ये जानता है।
कितना अकेला होगा वो शख्स,
जो मीठे एहसासों का हिसाब मांगता है।-
बात कुछ यूं है कि कुछ घंटे पहले मैंने अपने सबसे करीबी इंसान से हमेशा की तरह वार्तालाप की। इस दौरान हमेशा की तरह रिश्तों को संभालने की कशमकश को भूल मैंने हर अंदाज में बात की। यही उनको रास नहीं आया और उन्होंने जुबां पर ताला लगाने के लिए बोल दिया। मैं जानता हूं वो उस वक़्त तनाव से परिपूर्ण थे लेकिन दिमाग इस बात को समझने से इंकार करता रहा। दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई अब इस मोड़ पर ले आई है कि शाम होने को है लेकिन मैंने अब तक फैसला नहीं किया। दिल चाहता है पास रहना लेकिन दिमाग चाहता है दूर जाना। अब ये दिल और दिमाग के बीच की लड़ाई मुझे इस मोड़ पर ले आई है कि मैं तनाव से परिपूर्ण अंतर्मुखी हो चुका हूं। अब अभिलाषा नहीं किसी से हृदय की बातें करने की। ह्रदय की बातें संजोए मैं इसी कशमकश में खो सा गया हूं।
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वो पहले शब्द
जो उत्कण्ठित हुए
एक बड़े उद्वेग के पश्चात
अकस्मात ही तन्हाई से
परिपूर्ण हो चली ये रात
वो पहले शब्द
जो दिल ने कहे
दिल के लिए
एक लंबी कश्मकश के बाद
दिल दिमाग की लड़ाई के दौरान
वो पहले शब्द
जो हमारे मिलन की
वजह बन सकते थे
जो प्रेम मार्ग के
अवसर गढ़ सकते थे
वो पहले शब्द
जिनको पहले दिमाग ने पढ़ा
पढ़कर अपने मूल स्वरूप में ना रहा
हम भी रह गए बेजुबान
जब दिल दिमाग ना मिलकर कहा
ये शब्द बड़े क्रूर
इनको हमेशा के लिए भूल जा-
आज कलम ने खुद आवाज लगाई
मुझे बोला कब तक यूं ही भावों को सहेज कर रखोगे
आज निकाल दो सब भाव अंतर्मन की गहराइयों से
लेकिन दिमाग नहीं चाहता बातों पर प्रतिक्रिया
वो चाहता बस ज्यों का त्यों बातों को रखना
कमजोर हो चुके है आज
सांसे चल रही धीमी.-