ये बेरुखी नहीं तो और क्या है, की उस सवाल का जवाब तो कुछ आया ही नहीं,
शायद बेहतर नहीं लगी मेरी कोई बात तुम्हे, पर तुमनें कभी कुछ ऐसा जताया ही नहीं,
और साबित करे भी तो कैसे अपने आप को तुम्हारी नज़रों मे,
रूठें हों तुम किस बात पे मेरी, ये तो तुमने कभी बताया ही नहीं— % &
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