जिंदगी के सफर में.. कुछ रास्ता लिख देगा, कुछ मैं लिख दूंगा.. तुम लिखते जाओ मुश्किल, मैं मंज़िल लिख दूंगा
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Zindagi ke safar mai.. Kuch raasta likh dega, Kuch mein likh dunga. Tum likhte jao mushkil, Mein manzil likh dunga.
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ज़मीर जिंदा रख,
कबीर जिंदा रख..
सुल्तान भी बन जाएं तो, दिल में फ़कीर ज़िंदा रख ।। हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख ।। हार जा चाहे जिन्दगी में सब कुछ,
मगर फिर से, जितने की उम्मीद जिंदा रख ।।-
कितनी अजीब होती है गुनाहों की जुस्तजू जनाब
इबादत भी जल्दी में करते हैं
फिर से गुनाह करने के लिए...-
जहां तक मुझसे मतलब है जह़ा को
वहीं तक हमको पूछा जा रहा है
ज़माने पर भरोसा करने वालो
भरोसे का ज़माना जा रहा है-
मुझे उसी एक दुख की लत है उसी को लाओ,
मैं ताज़ा ज़ख्मों की ताजगी से डरा हुआ हूंँ!-
मेरे नाम की मेहंदी सजाने को
फिर आया है लौटकर दिन वही, त्योहार वही, जज्बात वही, हर बात वही..
इस बार भी रह गया अधूरा
जो नहीं था किस्मत में वो प्यार नहीं, कोई आस नहीं, तेरा साथ नहीं, वो बात नहीं-
इश्क की परिभाषा तो सदियों से वही है
मायने तो जरूरतों से बदले जाते हैं...-
जिंदगी तो जैसे तैसे गुजर ही जानी थी
चाह तो तेरे संग जिंदगी बिताने की थी-