Aman Jha   (अमन झा)
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Joined 18 February 2021


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Joined 18 February 2021
10 SEP 2021 AT 19:23

पर में है शक्ति अगर तो
गगन भी भीषण अभी है..

तूफ़ां प्रबल है अग्नि सा पर
शंखनाद रण की बजी है..

आरंभ है जब ये प्रचंड तो
आर हो चाहे पार हो..

हो तीर या खंजर दुधारा
समशीर से चाहे वार हो..

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5 SEP 2021 AT 8:28

ग़र बेटे हैं राम तो फिर, सीता है बेटियां
ग़र बेटे हैं ग्रन्थ तो फिर, गीता है बेटियां।
भेद-भाव, ऊँच-नीच, बेटियों के साथ क्यों
सर्वगुण संपन्न और, सूचिता है बेटियां...

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4 AUG 2021 AT 11:06

तलबगार हैं हम,
तिरे औसाफ़ के यारां ।।

सच बताओ,
कहीं तुम फ़रिश्ता तो नहीं ।।

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1 AUG 2021 AT 11:05

शामिल हैं बहारों सा,
तेरे हयात में 'मुसाफ़िर' ।।

हूँ नसीब-ए-ख़ास, की
पाया हम-नफ़स तुम सा ।।

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28 JUL 2021 AT 10:26

सत्ता, भोग, विलास न चाहूँ, ईश्वर को अर्पण हूँ मैं।।
करे ब्रह्म में रमण सदा जो, वही पूज्य ब्राह्मण हूँ मैं।।

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18 JUL 2021 AT 8:46

होगा न ख़ुदा कोई, मेरी माँ सा इस जहां में।।
मेरे पेशानी को चुमके, मेरा मुक़द्दर जो सवाँर दे।।

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11 JUL 2021 AT 9:34

पाया भी न इश्क़ तुम्हारा
बरसों की छूट गई यारी।।

सपने थे जो उजड़ गए
नींद भी मानो दुत्कारी ।।

दोस्त यार सब यूँ बिछड़े
हो गई वीरां दुनिया सारी।।

हर्ष आँख ग़मगीन कर गई
बस एक बोझ 'ज़िम्मेदारी'।।

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6 JUL 2021 AT 10:32

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4 JUL 2021 AT 9:32

कल्पनायें सीता सी
पावन पुनीत गीता सी।।

बुद्धि से जो प्रबल है
शत्रु के लिये सबल है।।

शांभवी बन के आई है
या स्वयं लक्ष्मीबाई है।।

अवध की रामायणी है
नारी नहीं नारायणी है।।

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3 JUL 2021 AT 9:41

गति मति से धीर हूँ,
या कर्ण सा मैं वीर हूँ।।

की हूँ प्रपंचित पार्थ सा,
या भीष्म के निस्वार्थ सा।।

मैं सभ्य हूँ, अवलीन हूँ,
निज कर्म में तल्लीन हूँ।।

पुरुषार्थ मेरा धर्म है,
पुरुषार्थ हीं सत्कर्म है।।

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