मेरे प्रियतम हर घट बसते हैं,
मै बसी घाट बस यमुना की,
हैं रात कटी कई याद में उनके,
बस रात कटी न यमुना की,
हय शाम भए यूँ याद सताए
कहूँ बात क्या यमुना की,
निर्मोही क्यूँ याद ना आई,
कहूँ रात क्या यमुना की,
यूँ बाँह पकड़ कर खूब सताना,
राह चलत जो यमुना की,
वो तोड़ दे मटकी कंकड़ से,
जो नीर भरूँ मै यमुना की-
आओ सारे बच्चों बैठो, एक एकांकी बतलाता हूँ,
सुनो सभी मेरे मुख से, में पूर्ण कथा समझता हूँ,
एक नील कमल वन रानी थी, जो जीत लिए सब मन,
पर एक पिता ने माँग लिया , सब पूर्ण हो गए स्वप्न,
नील कमल बन पुत्री आई, टूटा खुशियों का अंबार,
स्वयं सरस्वती आई घर मे, करो देवी का साक्षात्कार,
नील हृदय, नग नेत्र है, और नील वर्ण के वस्त्र,
शालीन चरित मोहे मन को, कलम ही उसके अस्त्र,
नीव करे नए भारत का और सभ्य करे सारा संसार,
पुत्री नही है मिली पिता को, स्वयं थी देवों का उपहार,
उस नील परी के दर्शन से मेरे नेत्र कलम हुए धन्य,
जन्य हुई है ज्योति जग-मग और धन्य हुए सब जन्य,
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आज मै लिख दे रहा हूँ, पीर दिल की बेपनाह
झूठ सारे पूजते हैं, सच लहू में है सना,
सच था भूखा रात भर, सभ झूठ की 'रैली' में थे
झूठ के 'पोस्टर' कई, सब एक सी शैली में थे,
कलम बिकती रोज़ थी, पर पढ़ने वाला कोई न,
आज भी भूखी थी बेटी, कई दिनों से सोई न,
आ रहा था 'टीवीयों' में, सच्चा लगने लग गया था,
नाखून रंग के बैंगनी, फिर वहीं वो भग गया था,
चीखते उन खबरियों ने, भूल बैठे लिखना भी,
मूक ही रहना सभी, कुछ नही अब कहना जी,-
न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्म।
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानंदरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥
ना मुझे मृत्यु का भय है, ना मुझमें जाति का कोई भेद है,
ना मेरा कोई पिता ही है, न कोई माता ही है, ना मेरा जन्म हुआ है,
ना मेरा कोई भाई है, ना कोई मेरा मित्र है और ना ही मेरा कोई गुरु
मेरा कोई शिष्य भी नहीं है। मैं चैतन्य, आनंद, अनंत हूँ , मैं शिव हूँ।
~निर्वानाष्टकम्
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रात्रि का हम वक्ष फाड़ें, चरम पर हो फिर उजाला,
चर्म उजला हो न हो, चरितार्थ तूँ तकदीर वाला,
गर सोच लेंगे हम सभी, ये वेग किससे थम सकेगा,
थम रहीं हों धड़कने पर पग निरंतर ना थमेगा.
रक्त, मज्जा , हड्डियों तक ताप अपना ज़ोर पर हो,
हो रहें हों राख दुश्मन, कोशिशें जब छोर पर हों,
हो त्याग, निष्ठा पर्वतों सी, डोलता पाताल पग से,
गिर रहा सो बार चाहे, ना डिगेगा वीर डग से,
खण्ड भी खंडित बनेंगे, बस कर निरंतर तू प्रहार,
जय हो तेरी ! जय हो तेरी ! जय हो तेरी ! जय जयकार,-