आओ सारे बच्चों बैठो, एक एकांकी बतलाता हूँ,
सुनो सभी मेरे मुख से, में पूर्ण कथा समझता हूँ,
एक नील कमल वन रानी थी, जो जीत लिए सब मन,
पर एक पिता ने माँग लिया , सब पूर्ण हो गए स्वप्न,
नील कमल बन पुत्री आई, टूटा खुशियों का अंबार,
स्वयं सरस्वती आई घर मे, करो देवी का साक्षात्कार,
नील हृदय, नग नेत्र है, और नील वर्ण के वस्त्र,
शालीन चरित मोहे मन को, कलम ही उसके अस्त्र,
नीव करे नए भारत का और सभ्य करे सारा संसार,
पुत्री नही है मिली पिता को, स्वयं थी देवों का उपहार,
उस नील परी के दर्शन से मेरे नेत्र कलम हुए धन्य,
जन्य हुई है ज्योति जग-मग और धन्य हुए सब जन्य,
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