भीड़ में मैं घिर के भी हूं अकेले सा
क्या था मैं क्या बन गया......
अंदर ही अंदर भरा सा फुर्सत में सुन लो मुझे
अंदर ही अंदर मरा सा जिंदा ही कर दो मुझे
बिखरा हुआ हूं जरा सा खुद में समेट लो मुझे
ठहरा हुआ हूं जरा सा आवाज दे दो मुझे ...........
दर्द- ए- तन्हाई में गुमनाम हो गया
रहने लगा खामोश खुद से ही रूठ कर.......
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कितना आसान था इलाज मेरा😌😌
झूठ के नींव पर बनी हर रिश्ते की दीवार हैं.......
मतलब के सारे रिश्ते है तो फिर
शिकायत किसी से क्यों करना ..........
लोग आते है सिर्फ झूठी तसल्ली देने
अच्छा है जख्मों को छुपाए रखना .....
टुकड़ों में टूट गया है मेरा आज और कल
जाने कैसे लोग है जिन्हे याद रखेंगे हर पल....
बीत जायेगा दर्द भरी रातों का मंजर
हर किसी न मारा पीठ पे प्यार से ऐसा खंजर .....
रातों को देखना ख्वाबों का टूटना
समेट के सारे दर्दों को अल्फाजों का बुनना ..…...-
तू शाम कोई पहाड़ों सी
मैं किस्से से करता बैर....
तू कस्बा किसी नदी किनारे
मैं बे दिल किसी शहर सा...
तू बाग कोई फुलवारी सी
मैं बेबाग कोई दीवाना सा...
तेरी सादगी तो मरहम जैसी
मैं दर्द कोई अफसाना सा....
तुम ख़्वाब कोई हसीन सी
मैं तुझमें खोया खोया सा.....-
आया है मुसाफिर तेरे दर पे आशिया दे जरा ....
इक शाम तेरे दर पे ठहरने की इज़ाजत दे जरा.....
आंखों में ज़हर भर कर जख्मों को हम बाजार नही करते....
जिसको चाहा न मिला तो हम अफसोस नही करते...
न होता है अल्फाजो में पर आखों से इंकार नही करते।
खूबसूरत है तू तो हू मै भी हसी
मुझसे नज़रे चुराने की कोशिश न कर .....
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जब भी मन भटके
बस उनकी आंखों में डूब जाना
जिनसे तुमको मोहब्बत है ....
प्यार में खोकर ही खुद को पाओग ...
अपना कोई जब पास न रहे तो
किसी के ख्यालों में बैठ कर
अकेले ही मुस्कुरा लिया करो.....-
कभी ठहर कर पूछना उनसे
क्या तुम तब भी मुझको ऐसे ही चाहोगे...
जब बाल स्वेत और गाल मुरझाए.....
न रंग मेरा निखरा हो,
न चलने की मुझमें हिम्मत हो .....
क्या तुम तब मुझको अपनाओगे ...??
जीवन के आखिरी सांस में मेरा हाथ पकड़े
क्या तुम तब भी मुझसे ऐसे ही प्यार कर पाओगे...??
ये आज कहे प्रिय,प्रिय वचन तुम्हारे
क्या ये कभी पूरे हो पायेंगे...???
क्या तुम तब भी मुझको चाहोगे......-
तुम्हें यादों में रखु या सामने देखू
तुम्हे पा ही लिया तो वो ख्वाब क्या हुआ...
मैंने कब कहा कि चाहिए तो तुम
अपनेपन का अहसास हो तुम .....
प्यार करना जरूरी है बताना थोड़ी ना
किसी को पाना मुश्किल है चाहना थोड़ी ना...
मैं बेशक तुम्हारा हूं
तो क्या हुआ तुम मिले नही .....
ख्वाबों में आज भी देखते है तुम्हे
तो क्या हुआ तुम साथ नही....
तुम न सही तुम्हारी यादें तो है.........-
हाथो पे छाले फिर भी न जाने कितने उम्मीदों को सभाले
थका हारा सोच में बैठा गुमसुम सा वो खामोश है।
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जब होती है चंदानी रात तो हर कोई देता है साथ
तलाश करो ऐसे शख्स की
जो न छोड़े अधेरो में भी हाथ।।-
आज खुद को सवार लो खुद से कल
किसी के झूठे एहसानों के सहारे जीना नही पड़ेगा।-