तुझे क्या गम है जो कुछ दिन घर बैठ गए
ये भी तो बता कि क्या कम है जो बाजार ही बेजार कर गए..!
कुछ दिन की बात है, घबरा मत, जैसे भी हालात हैं
सब्र रख रोशनी की किरण आएगी नजर, भले अभी घनी रात है...
सहारा बन एक दूजे का, लम्बा हो सफ़र चाहे कितना
भले ही कुछ दूर चल के दिखा, साथ तू दे चाहे जितना...
अपनों के साथ बिता कुछ वक़्त, ना हो तू परेशां
बस ध्यान रखना कहीं भूखा तो नहीं सोया कोई गरीब इनसां...
कुछ रोज़ के राशन पानी से अपने हर रोज़ बिताना
कोई ज़रूरतमंद दिख जाए तो दो जून की रोटी उसे भी खिलाना...
खुशकिस्मत हैं हम जो घर बैठे हैं,
थोड़े ख़ौफ़ में थोड़े बेखौफ अफ़वाहो में गुम बैठे हैं,
पर दुआयें करना उनकी खातिर
जो हमारी रक्षा के लिए दिन रात अदृश्य खतरे से लड़ बैठे हैं.......-
बचपन ही अच्छा था
तब नादानियों में भी दिल सच्चा था...
अब समझदारियों का जमाना है
अफवाहों और ख़ौफ़ में जिंदगी बिताना है...-
आ चल के फिर से बचपन जी लेते हैं
वो जो की थी बच्चों सी नादानियाँ, फिर से कर लेते हैं
तब ना थी कोई इंटरनेट सुविधा ना ही थे कोई फोन
चल फिर से अपनों को ख़त लिख लेते हैं...
तब ना थे स्माइली ना ही थे इमोटीकॉन्स
ना रोज़ हर किसी से मिलते थे और ना थे वीडियो कॉल्स
बस ख़त ही हर किसी के हाल चाल के साधन थे
इन्हीं कागजों के पन्नों में हर स्माइली वाले चेहरे उभर आते थे...
लुका छिपी लुडो या ल से बच्चन का हो कोई गाना
शतरंज हो या अंताखक्षरी सबके अपने नियम अपना ही बहाना
तब गली क्रिकेट की फर्स्ट ट्राई बॉल पर आउट नहीं होते थे
लड़ाई झगड़ों में बात भी ना करें, ऐसे गुस्सा भी नहीं होते थे...
अब घर पर बैठे बोर हो जाते हैं
कोई भागदौड़ का खेल नहीं बस ऑनलाइन ही गुम हो जाते हैं
Forwarded जोक्स हों या हो कोई अफवाह
इंसानों को छोड़, बाकी सब बकवास आँख मूंद के विश्वास कर जाते हैं...-
सुकून है तो अच्छा ये सन्नाटा है
वक़्त ने हर किसी को उधार में जो बाँटा है
एकांत बैठ कर ध्यान से सोचकर देखना
क्या हर एक को सब कुछ नसीब हो पाता है!!!
ना है कोई भागा-दौड़ी अब
ना ही किसी को ऐशो आराम की चिंता
ना ही कोई हिन्दू अब ना कोई मुसलमाँ
कैसे भी बच जाएं, कहीं जल ना जाए इंसानियत की चिता!!!
चारों ओर है पक्षियों की चहचहाहट
है हर जानवर भी हैराँ परेशां
इतने सन्नाटे की आदत नहीं किसी को
जाने इतना क्यों बदल गया इन्सां!!!
बस समझ लो ये आख़िरी मौका है
बच गए तो नई दुनिया शुरू से बसाना
जात पात धर्म ऊँच नीच का युध्द बस छलावा है
सबसे पहले हर किसी में इंसानियत को जन्म दिलाना!!!-
कुछ जनसेवा की ख़ातिर जान की बाजी लगा रहे उसके खौफ़ में
तो कुछ ऐश काट रहे घर से बाहर बेफिकरी मौज में
हर किसी ने तरीके से लिया है nature🍃 के मजे
अब nature🍃 सिखा रही सबक चुन चुन के हर घंटे हर रोज में
अपने संसाधनों का किया है जबरदस्त misuse
जाने अंजाने सभी ने Motherland को किया है बहुत abuse
जैसा बोया था वैसा काटने के दिन आ गए हैं नजदीक
अब किस किस बीमारी से बोलोगे "आख़िरी बार कर दो ना excuse"
वक़्त है अब भी, अपनी आदतों में curfew लगाओ
गर ज़रूरत नहीं तो हर कोई least sociolize हो जाओ
कोरोना को जो ले रहे थे हल्के में वो खुद हल्के हो लिए
अगली बारी अपनी होने से पहले मिलके अपने देश को sanitize करवाओ
#तालीबजाओ_थालीबजाओ-
उलझी लटों को सुलझा के
सलीके से कानो के पीछे टिका जाता है वो...
चुपके से पास आकर गलती पर भी मेरी
भौंहें टेढी कर हौले से मुस्कुरा जाता है वो...
मैं चाहे खामोश हो जाऊँ किसी बात पर
उन खामोशियों में भी ना जाने कितनी बातें बना जाता है वो...
दिन भर की थकान हो या हो कोई नाराजगी
अपने आगोश में लेकर मुझे सुकूँ से भर जाता है वो...-
जो मैं अब तक बोल ना सका उसकी तू ढूँढ ले वजह,
इशारों को पढ़ ले या खामोशियाँ तू सुन
वक़्त कम है पर जाने से पहले ये तो दे कह,
कि हम मिलेंगे फिर अगली सुबह.........-
इश्क का इजहार पलकों के इशारे ही करियेगा,
ज़रा देखें तो सही उनमें नज़र पढ़ने का हुनर किस क़दर है!!!-
फासलों में नजदीकियां ढूंढ लीजिए.
ये डिजिटल युग है,
क्या पता कब पकड़ ढीली पड़ जाए.....-
नफरतों के सौ रंग में
इक रंग मुहब्बत का.
सौ हाथ जो उठे हिंसा में
इक हाथ ने थामा मुहब्बत का.
कई रंग बदलते चेहरों में
इक चाँद सा मुखड़ा मुहब्बत का.
केसरी में डूबा मैं हरे लिबास में वो
होलिका दहन को निकला जो धवल चाँद मुहब्बत का.-