तेरे लबों को छू, मुझ पर जो ठहर जायें, वो मुस्कुराहटें हैं
झील सी आँखें, जिनमें उतर हम बहक जाएँ, वो शरारतें हैं
ये बिंदी, ये लाली, खनकती चूड़ियाँ और तेरी साड़ी,
हर रंग तुझमें निखरकर कहे...... वाह! क्या नजाकतें हैं-
रोज़ से ज्यादा रोटियों में आज़ स्वाद आया है
देखा तो लंचबॉक्स में उनका प्यार आया है
कुछ नसीहतों संग चेहरे पे दिल वाला इमोटिकोन आया है
और...
और घर जल्दी आने का हुकुमत-ए-फरमान आया है-
तेरा खयाल फ़िर इस दिल में खिलखिलाया आज,
पुरानी गज़ल का कुछ हिस्सा, जैसे ही मैंने गुनगुनाया आज.
पहली दफा बचपन मे देखी थी जो तेरी सूरत,
वो मासूम सा मंज़र फिर ज़ेहन में झिलमिलाया आज.
थी गमगीन सी तेरी आँखें उस पल,
वही नमकीन सा दर्द मुझमें भीतर गहराया आज.
जाने किस बात से थी खफा, हिम्मत कर पूछेंगे तुझसे किसी रोज़,
पूरी रात तेरे खयालों में करवट बदलना फिर याद आया आज.
अगले दिन तेरे चेहरे पर मुस्कान देख,
हर वक़्त मेरा सुकून से मुस्कुराना याद आया आज.
उस रात पहली दफा दिल को कुछ अजीब सा एहसास हुआ,
तकिये को तेरा अक्स समझ, ख़ुद को बहलाना याद आया आज.
वो एक तरफा पहला प्यार, मासूम मुस्कुराहट और
डायरी में कैद बरसों पुरानी कुछ नज्म मैं फिर आजाद कर आया आज..-
जिक्र तेरा करता हूँ जब मैं अपनी कलम से
उस निर्जीव के भीतर भी जज्बात आ जाते हैं
तुझे मुहब्बत लिखूँ या राज़ ही रहने दूँ
तुझपे हक़ सिर्फ़ मेरा है, आड़े ऐसे हालात आ जाते हैं-
सुना है झुमके बेहद पसंद है उन्हें
और हमें झुमके से निहारता उनके गाल पर काला तिल
हरकतें, अदायें, नज़ाकत, नखरे और क्या क्या समझाएं उन्हें
जाने किस बात पर फिसल गया ये बेचारा दिल-
सुनो ना
वो जो हमारी पहली मुलाकात होगी ना
बातें तो बहुत सी हैं करनी, कहीं से तो शुरुआत होगी ना
भविष्य का किसको पता पर वर्तमान हमारा साथ होगा ना
सोचूँ यही कि थाम लूँगा वो पल, खैर तेरे हाथों में मेरा हाथ होगा ना-
बीती शाम कुछ यूँ हुआ
कुछ आधा कुछ पूरा सा सुकूँ हुआ
गुज़री जो उनकी गली से खोजती निगाहें
कुछ थी शरमाई तो कुछ से इशारों में गुफ़्तगू हुआ-
हुस्न ने रुख़सार पर पहरा लगाये रखा है
एक ओर भँवर तो दूजे पर काला भँवरा बिठाये रखा है-
तस्वीरों में पिछली होली के कुछ ग़ुलाल संजोए रखा है
ज़ेहन में तेरे मासूम से ख़याल पिरोए रखा है
हल्की सी सुबह में घुली थी तेरी ख़ुशबुएं उस रोज़ उसमें
तेरे हाथों के स्पर्श से शर्म से लाल ये गाल किये रखा है-
नजरों के पेच इस क़दर लड़ गये
उनकी तो ख़बर नहीं, तोते हमारे उड़ गये
सोचा था जमीं से आसमां तक हम ही हम हैं
उनका जिक्र भर हुआ फिजाओं में
और मांझे संग हम उखड़ गये-