संविधान की खूबसूरती ऐसी की लोग बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं
नहीं तो धर्म ने तो मंदिर के दरवाजे तक बंद कर दिए और जात-पात ने कुएं से पानी पीने तक की इजाजत नहीं दी-
ये दौर गुजर जायेगा एक दिन
हमसे उनका यूं बेरूखी का
फिर उस रोज हम उस चाँद के साथ
एक सफर की शुरुआत में जायेगे-
उत्तर भारत कि राजनीति का मुख्य द्वार है उत्तर प्रदेश इसलिए दिनांक 20 फरवरी को घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले मतदान में अपना वोट किसी विशेष चिन्ह ,पार्टी या बड़े चेहरे को देखकर ना देते हुए उस प्रत्याशी को दें जो आम जनता के हितों से जुड़े मुद्दे को आने वाले 5 साल विधानसभा में पूरी दृढ़ता के साथ रख सके,जिससे आने वाले समय में क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले
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किसी महानपुरुष का मूल्यांकन किसी विशेष संप्रदाय व धर्म का ना मानते हुए हमे उसके कार्यों,नारी शिक्षा और उत्थान,समाज निर्माण में दिए अमूल्य योगदान व योग्यता के आधार पर किया जाना चाहिए,यही शिक्षित होने की असल परिभाषा है क्योंकि हम सबसे पहले भारतीय है
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जब बात गुरु की होगी तो मैं मां को प्रथम स्थान और समय को द्वितीय स्थान पर रखूँगा क्योंकि इन्होंने जो सिखाया, वह दुनिया का कोई विश्वविद्यालय का दरवाजा नहीं सिखाता
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गुरु सबसे श्रेष्ठ
ज्ञान मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है और उस द्वार तक ले जाने का कार्य गुरु। गुरु की महिमा को शब्द रुपी माला में पिरोना बड़ा जटिल है क्योंकि ये संसार की श्रेष्ठ पदवी है जिन्होने अपने शिष्य को राम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और चन्द्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट के रूप में स्थापित किया,कबीर दास जी ने यहाँ तक कहा की गुरू बिन ज्ञान न उपजै , गुरू बिन मिलै न मोष । गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष। गुरु प्रेम,अनुशासन और आशीष का संगम है,सभी गुरुजनो को गुरुपूर्णिमा पर कोटि कोटि नमन-
अलविदा पद्मश्री फ्लाइंग सिख -
बचपन में ही उठ गया सिर से मां बाप का साया मुफलिसी और बंटवारे की आग में दर-2की ठोकर खाया
पर वह था जिद्दी दृढ़ संकल्पि सेना में हो गया भर्ती उसने एक रोज हौसलो की उड़ान भरी
बिजली सा दौड़ा और जुगनू सा रोशन हुआ-
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
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महीनों बाद काम पर जाने लगे थे
हम एक सदमे से बाहर आने लगे थे
लॉकडाउन में मन फिर उकता रहा है
सुना है कोविड बढ़ता जा रहा है
कहां सोया है चौकीदार मेरा
ये संक्रमण कैसे वापस लौट के आ रहा है
वक्त सीखा रहा हालत से लड़ना हमको
लेकिन वो चुनाव लड़वा रहा है
यही एक दिन बचा था देखने को अब
परदेशी फिर अपने घर वापस आ रहा है-