10 JUN 2019 AT 21:17

जिस्मानी हो चली है मासूमियत
कैसे बाज़ारो में बिकेंगी कठपुतलियां,

डर लगता है शैतान गुलशन कफ़स से,
यकीन गुलाब पर कैसे करेंगी तितलियां,

वो मरोड़ता है रोम रोम नाज़ुक,
सँग कैसे बादलों चलेंगी बिजलियां,

मनाता है मातम ज़माना जब पर्व पर,
तो कोख से कैसे जनमेंगी बेटियां!

- अमन अजनबी Manjeet Singh