Aman Ajnabi   (अमनअजनबी ManjeetSingh)
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Joined 28 December 2017


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Joined 28 December 2017
YESTERDAY AT 2:05

जिंदा रखा है हमें,
जाने किन दुआओं ने,

मर जाते कब के,

बददुआ जो हमें,
इस ज़माने ने दी ना होती!

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30 APR AT 1:46

ये इश्क़ वो है जिसने बहर-ओ-बर ख़राब कर दिया
हमें तो उसने जैसे ख़ास कर ख़राब कर दिया,

मैं दिल पे हाथ रख के तुझको शहर भेज दूँ मगर
तुझे भी उन हवाओं ने अगर ख़राब कर दिया,

किसी ने नाम लिख के और किसी ने पींग डाल के
मोहब्बतों की आड़ में शजर ख़राब कर दिया,

तुम्हें ही देखने में महव है वो काम छोड़कर
तुम्हारी कार ने तो कारीगर ख़राब कर दिया,

मैं क़ाफ़िले के साथ हूँ मगर मुझे ये खौफ़ है
अगर किसी ने मेरा हमसफ़र ख़राब कर दिया,

तेरी नज़र के मैक़दे तमाम शब खुले रहे,
तेरी शराब ने मेरा जिगर ख़राब कर दिया!
#तहज़ीब_Haafi

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30 APR AT 1:15

देख किस कदर ए जिंदगी,
तुझे हम चाहते हैं,

इस भरी गर्मी में भी,
कम्बल हम ओढ़ कर आते हैं!

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28 APR AT 0:32

तो क्या हुआ उम्र भर,
साथ हम चल ना पाए,
तो क्या हुआ अलविदा में,
ये हाथ लहराए,

तो क्या हुआ,
बदल गई तेरी मेरी रह गुज़र,
तो क्या हुआ ना आयेगी,
तुझे मेरी खुशखबर!

ख्याल रखना तू अपना खयाल रखना!

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25 APR AT 1:44

हर रोज़ दिल उदास होता है,
और शाम गुज़र जाती है,

इक रोज़ शाम उदास होगी,
और हम गुज़र जायेंगे!
#अज्ञात

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24 APR AT 0:58

घर किराये का है ज़िन्दगी,
एक दिन तो बदलना ही होगा,

संजोया यादों के जिस आशियाने को,
अलविदा तो कहना ही होगा,

हैं रंग सभी ग़म और खुशी के,
गुलाल ए राख तो ओढ़ना ही होगा,

क्यों रोयें जिस्मों के ख़ाक होने पर,
राज़ी रज़ा ए खुदा तो रहना ही होगा!

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24 APR AT 0:56

व्याकुल है माँ गंगा अवतरित फिर होने को,
भक्त भगीरथ कोई होना चाहिए,
बेबस हैं बहुत माँ बाप कई,
श्रवण कोई होना चाहिए,

हो गईं द्रौपदी अनेक,
दुशासन भी अनेक,
प्रकट हे कृष्ण,
फिर से तुम्हें होना चाहिए,

है संकट में फिर से,
माँ सीता,
हे पवन पुत्र बलवान
दहन लँका फिरसे होनी चाहिए,

आओ लेकर प्रण,
फिर से दुनिया में,
दानी सर्वंश गुरु गोबिंद कोई,
फिर से होना चाहिये!

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22 APR AT 17:46

फैसले लेने पड़े जब खुद,
तो मैं बूढ़ा हो गया,

मां जिंदा थी जब तलक,
बच्चा हुआ करता था मैं!
#अज्ञात

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17 APR AT 23:02

ये तेरा मुझसे मिलना,
बेवजह मौसम का खिलना,

कहूं इसे और क्या,
ईश्क यही तो यही तो इश्क है!

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17 APR AT 1:18

मैने जो कुछ भी सोचा हुआ है,
वक्त आने पर कर जाऊंगा,

ज़हर लगते हो तुम मुझे,
तुम्हें पीकर एक दिन मैं मर जाऊंगा!
#तहज़ीब–हाफ़ी

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