व्याकुल है माँ गंगा अवतरित फिर होने को,
भक्त भगीरथ कोई होना चाहिए,
बेबस हैं बहुत माँ बाप कई,
श्रवण कोई होना चाहिए,
हो गईं द्रौपदी अनेक,
दुशासन भी अनेक,
प्रकट हे कृष्ण,
फिर से तुम्हें होना चाहिए,
है संकट में फिर से,
माँ सीता,
हे पवन पुत्र बलवान
दहन लँका फिरसे होनी चाहिए,
आओ लेकर प्रण,
फिर से दुनिया में,
दानी सर्वंश गुरु गोबिंद कोई,
फिर से होना चाहिये!
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