मन के मंदिर में बैठा के आ तेरी पूजा करूँ
तू मुझे देखा करे, मैं तुझे देखा करूँ
अगर बिछड़े तो, रख हाथ पे हाथ वादा करूँ
तू मुझे सोचा करे, मैं तुझे सोचा करूँ
दूरियाँ हो जब बेहिसाब तो, रोज़ एक ख़त
तू मुझे लिखा करे, मैं तुझे लिखा करूँ
जब पलकें हो नम, ज़िंदगी के किसी मोड़ पे
तू मुझे हँसाया करे, मैं तुझे हँसाया करूँ
अँधेरे की चादर जब छाई हो रात पे
चाँद की चाँदनी से चमकी हो हमारी आँखें
आँखों की गहराई में
तू मुझे खोजा करे, मैं तुझे खोजा करूँ
जब हो रात का आखिरी पहर
जब अगले पल ही होने वाली हो सेहर
रात और सुबह के दरमियाँ
तू मुझे चूमा करे, मैं तुझे चूमा करूँ
अलताफ अली
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