Alpika Shukla   (Pankhudhi)
59 Followers · 9 Following

Joined 15 June 2018


Joined 15 June 2018
25 AUG 2023 AT 20:10

मुझे तुम आज भी वैसे ही पसंद हो
वैसे ही गीत गुनगुनाते हुए
मौसमों के रंगों में खुद को तलाशते हुए
कभी सोचा था तुमने की तुम इतने बदल जाओगे इतने जितने लोगों की मिश्री से भरी बातें जो वक़्त आने पर कब करेले सी कडवी हो जाती है पता ही नहीं चलता
तुम्हारे साथ बंधी सारी आदतें चाहें अनचाहे
उन रास्तों पर ले ही जाती है जहाँ सिवाए हंसी के कुछ भी नहीं...
सब कहते है मैं चीजों को बहुत सहेज कर रखती हूँ,
पर मेरी गुल्लक में शिकायतों के सिक्के कब शामिल हो गए
कुछ ख्याल ही नहीं रहा
वैसे तो मैं बहुत ज्यादा नहीं सोचती पर कभी
कभी बीते अनुभव जैसे मुझे कील चुभा जाते हैं
फिर उन गंभीर रास्तों पर ले जाते हैं जहाँ से बमुश्किल यहाँ आ पायी हूँ,
पर मैं खुश हूँ आज भी बहुत ज्यादा बेवजह
बस इसलिए क्योंकि ये बेख्याली ही विरासत है तुम्हारी जिसने मुझे गुमनाम नहीं होने दिया और बस इसी की रोशनी से ही जगमगाता है वजूद मेरा ।

-


25 AUG 2023 AT 20:00

कहीं हार बैठे है तारे कहीं पड़े मद्धम उजियारे
नभ की निशा कांति में बैठा एक सितारा डूब गया है मानो सब कुछ टूट गया है।

-


23 AUG 2023 AT 22:36

आलोचनाओं के शिखर पे विजय का शंखनाद है
डटे हुए कदम कहें ये कर्म का यशगान है
है क्या अगम्य इस धरा पे क्या दुरूह खोज लो
वही सफल जो कर सका हर बाधा का समाधान है।

-


14 AUG 2023 AT 6:24

Which nobody
try to recognize
My all capibilities,
My all expectations
Everyone's perception
Everyone's rejection
Some emotions which doesn't
have their identity
I hide a whole personality
Who is completely collapse
Due to construction
And now these are just remains.

-


10 JUN 2023 AT 20:23

'स्मृतियाँ'

आज किसी तस्वीर को देखते देखते
आँखों में तैर गए कई स्मृतियों के अंश
पीर के अंदर झांककर देखा तो कितनी
ही किल्कारियां गूँज रही थी उनमें,
क्या वर्तमान में की गयी अठखेलियों को
करते समय कोई सोचता होगा कि
भविष्य में यही ठहाके मन में टीस बन कर उभरेंगे ? नहीं....
क्योंकि भविष्य की मुंढेरों से झांककर हम
वर्तमान के मैदानों को नहीं नाप सकते...
पर बीते हुए वक़्त के साथ आँख मिचौली
खेलते खेलते आँखें जलने लगती हैं
सोचो ....
कितना अनोखा होता है
अनुभूतियों का बदलना|

-


16 APR 2023 AT 20:59

जश्न ए ज़िंदगी में मसरूफ हैं लोग हर कहीँ
मैं हथेली में सुरमयी चाँद सजाये बैठी हूँ
है आसमान से इबादत का इरादा मेरा
मैं सितारों का आशियाँ बनाये बैठी हूँ।
हज़ारों ख़्वाबों से तग़ाफ़ुल हैं मुद्दतों की दुआ
मैं बंद पलकों में राज़ ए उल्फ़त दबाए बैठी हूँ।
ये इमारतों की रोशनी काफी नहीं सुकूँ ऐ मंज़र के लिए
मैं जुगनुओं की तिश्नगी आँखों में बसाए बैठी हूँ।

-


14 APR 2023 AT 17:45

ये दिन का आना और
तमाम रात का ढलना
ये सूरज का पंछी और
सितारो का चांद से मिलना
दो तरह के वादे हैं
ये दो तरह की रस्मे।

-


13 APR 2023 AT 23:08

एहसासों की पोशाक में
लिपट कर निखर जाती है।
हल्के रंग के एहसास उन्हें
कोमल बनाते हैं
और करुण रस में डूबे शब्द
रंगहीन हो जाते हैं
पत्थर में बंधे शब्द
घाव गहरे कर जाते हैं।
वात्सल्य भरे शब्द
जीवन में मधुरता लाते हैं
ध्यान से देखो इन्हे यही
वह विरासत है जिससे हमारे
संस्कार तराशे जाते हैं।

-


12 APR 2023 AT 20:03

शिकायतों के पुल से होकर अक्सर रास्ते जाते हैं स्याह रास्तों की तरफ
कभी कुछ खत्म नहीं होता लाख खत्म होने के बाद
बस हमारे आस पास चार दीवारें खड़ी कर देती हैं हमारी शिकायते
जिसमे हम तिल तिल बस जलते रहते हैं
कहीं बाहर इसका कोई असर नहीं होता
बस ये स्वयं को ही जलाती रहती हैं फिर इस आग में जल जाती हैं
कई आशायें कई अपेक्षाएं
और हमारे भीतर बसी मीठी यादें
जीवित रहती है तो बस कसक, कड़वाहट
और जलने की तपन
जिसे महसूस कर लेने भर से आत्मा सौ सौ बार जल जाती है।

-


12 APR 2023 AT 7:04

भरी पड़ी हैं मन की गिरहें
सब खाली है दर्पण सा
सिसक रही है काया मेरी
मन फिर भी है निर्मल सा।

जिस जिस बूँद को मैंने सींचा
उस माटी पर झुकना है
अपनी व्यथा हो कितनी भी पर
पीड़ा का मुँह न तकना है
निर्बल है भीतर की पुकार
और शौर्य पड़ा है दुर्बल सा।

अंदर ठहरे घने अंधेरे
जो करते अंबर के फेरे
फिर भी निश्चल से वादों
को हर हाल में पूरा करना है।
अँधेरों के रस्तों में मन
एक लौ थामे है प्रतिपल सा।

-


Fetching Alpika Shukla Quotes