नदी से प्रेम करते हुये क्या पुल को कभी आकांक्षा नही होती बांध बनने की, नदी को रोक लेने के खातिर। यध्यपि पुल समझता है नदी का चंचल होना, परंतु नदी का एकाकीपन दूर करने में क्या उसके जीवन में भूचाल नही आता।
शायद उसने सीखा ही नही उम्मीदें इकठ्ठा करना क्या होता है, उसने बस सीखा है शान्त रहना, लोगों को एक दूसरे से जोडना , और नदी से निस्वार्थ प्रेम करना ।
जगजीत की गज़लें, गालिब,मीर की बातें दिल के ताज़ा ज़ख्म और वक़्ती तहरीर की बातें सुकून-ए-दिल ज़ेबह करते खंजर, शमशीर की बातें तुम्हारी खातिर रोज़ बेचैन मन ,शरीर की बातें
ये सब हो जाये मुमकिन,बस तू ठहरे तो सही, मगर फिर वही कम वक़्त, तक़दीर की बातें ।
बेशक एक ज़माना लगा पर सीख लिया है मैंने अब, तुम्हारे बिना जीना। हाँ बस कभी कभी बिस्तर पर आधी नींद में करवट बदलते बदलते यूँही मै तुमको ढूँढने लगता हूँ । दिल को भी समझदारी आ गई है अब, मान लेता है कि यहीं होगी तुम आसपास किसी दूसरे कमरे में कुर्सी पर बैठी कविताए पढ़ती मेरी डायरी में।
और नींद नही टूटती मेरी इसी तसल्ली में। बेशक़ एक ज़माना और लगेगा पर सीख लिया है मैने अब, तुम्हारे बिना जीना ।
It's fiction based on love, and a milestone of Hindi literature of its time. You'll get drenched in raw emotions and surely will fall in love with each character of novel. Give it a try, you can find it at Kindle,or download its pdf version. Happy reading .