वो कहती है —
मुझे भुलाना आसान नहीं अगर,
तो फिर मुझसे नफ़रत ही कर लो।
मैं कहता हूँ —
मैं नफ़रत करूँ, फिर तुमसे ?
मुझे मरना है क्या ?
बताओ, अपनी जान से नफ़रत करके
यहाँ ज़िंदा कौन है ?-
काश कोई ऐसा आईना होता !!
जो मुझे इज़ाज़त देता उसपार कि इंसान से गले मिलने का ;
एक वही तो है, जो मुझे मेरी आँखों से समझता है,
बिन पूछे जो मेरे मन को पढ़ लेता है ;-
मर जाते हैं लोग मोहब्बत में, आलोक !!
और तुम कहते हो तुम्हें दिल लगाना है ?-
आजकल ये धड़कन सिर्फ तेरा नाम लेता है,
मेरे दिल में जब से तु ठहरने लगी।
तेरे इन आँखों में मैं डूब सा गया,
मेरे आँखें जब तुझसे मिलने लगीं।
खुद को खोकर मैं तुझे ढूँढ़ने लगा,
तेरी ख़यालों में हर रोज़ सँवरने लगा।
आजकल ये चाँदनी तेरी तस्वीर लगती है,
मेरे ख़्वाबों में जबसे तु आने लगी ।-
आंखें करते थे बातें उनकी, निगाहें जादू कर जाती थी
दिल मेरा मचलता था, जब वो यूं मुस्कुराती थी
सुरीली आवाज़ जो उनकी, मन में मेरे बसता था
उन्हें एक बार देखने से ही, मेरा हर जहां हंसता था-
चाहत है कि एक बार आवाज़ सुन लू उसकी,
एहसास है जैसे, अर्शों से अकेला हूँ ;
दिल में बेचैनी महसूस हो रहा,
लगता है कोई बुरा ख्वाब में हूँ ;-
यह मन को बेचैनी का वजह पूछना है
क्यों मिला है मुझे ये सज़ा पूछना है
पता नहीं ये क्या हो रहा है मुझको
यह दिल में घबराहट का वजह पूछना है-
ये उलझन है कैसा, जो मुझे सोने नहीं देता ;
गुमराह करता है मगर, खोने नहीं देता ।
बेवजह खींचता है सपनों की लकीर ;
दर्द देता है मगर रोने नहीं देता ।-
उनके महफ़िल में हम चक्कर लगाना छोड़ दिए,
बेगानी सी राहों में रिश्ता निभाना छोड़ दिए ।
ख़ामोशि दिल का हमें तड़पाया कुछ इस कदर,
खुद को ठेस पहुँचे, वो रस्ता छोड़ दिए ।
गिर कर उठके चलते थे हम्,
राहों में गड्ढा हम् गिनना छोड़ दिए ।
पलट कर फिर ना देखा वो मंजर,
जहां सही ना लगा, सारे नाते तोड़ दिए ।-
इस मन में बेचैनी का वजह बता दो कोई,
ये मन ही मन मुस्कुराने का वजह बता दो कोई ;
ये भावनाओं की वीरान बग़ीचे में जो फूल खिलने
लगा है आजकल,
मन में ये ताज़गी का वजह बता दो कोई ;-