Alok Ranjan   (Alok Ranjan)
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Joined 22 March 2017


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Joined 22 March 2017
26 JAN AT 19:09

अनंत ने पूंछा शून्य से तुम अकेले क्यों हो
शून्य बोला अनंत से " मैं स्वयं मे पूर्ण हूं"।।

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24 JAN AT 16:05

वो सराय थे
और
मुझे थी घर की तलाश।।

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13 JAN AT 8:36

मैं हर रोज़ अपने आखरी पन्ने पर लिखता हूं
"आरम्भ"

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21 MAY 2023 AT 19:16

पहनो चाहे माणिक,मूंगा, मोती या नाम मे जोड़ो अक्षर हज़ार
जर्रा जर्रा बिखरोगे जब कर्म की होगी मार ।।

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3 AUG 2022 AT 12:42

मैं कई शून्य छोड़ने को तैयार हूं
अपने एक के लिए ।।

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23 JUL 2022 AT 18:56

मैं नही रखता बेजान मोह
मैं इश्क रखता हूं या द्रोह।।

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15 MAY 2022 AT 2:13

कहीं फिर सफ़र करेंगे अजनबियों के साथ
वो शहर और वो लोग किसी और की मंजिल थे।

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27 APR 2022 AT 23:53

कुछ बेगैरतों के नाम में रंग होता हैं
और नियत में इंद्रधनुष।।

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24 MAR 2022 AT 7:19

हर मोड़ पर तू हमसफ़र बदलती रहीं
तेरी रूह गंदी थी और तू जिस्म धोती रही ।।

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23 JAN 2022 AT 23:56

थोड़ी अधजगी या अधसोई हैं आंखें
थोड़ी ख्वाबों में या हकीकत में हैं आंखे
थोड़ा बोलना या चुप होना चाहते है लब
थोड़ा कहकशा या थोड़ा सूखना चाहते है लब
थोड़ा खाली या थोड़ा भरा है सिरहाना
थोड़ा नर्म सा या थोड़ा सख़्त है सिरहाना
थोड़ी रोई या सूखी सी पलके
थोड़ी चमकती या काले गड्ढों में रुकी पलके
थोड़ी सच्ची या झूठी खिलखिलाहट
थोड़ी यादों की या थोड़ी सच की खिलखिलाहट
थोड़ा पास आने या दूर जाने की चाहत
थोड़ा जिंदा रहने या मर जाने की चाहत
कुछ थोड़ा बस थोड़ा मिल जाने की जरूरत
या कुछ थोड़ा खो जाने की चाहत ।।

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