आज भी तुम्हें वो हसीन रात, याद है क्या ?
वक़्त तो काफ़ी बीत गया मेरा साथ, याद है क्या ?
वो हाथ थामे हुए हम जो सितारे देखते थे,
उन्हें देखकर बनाया हर ख्वाब, याद है क्या ?
हर पन्ने पर लिखा था, मैनें नाम तुम्हारा,
तोहफे में जो दी वो किताब, याद है क्या ?
भूलने में और भुलाने में बहुत अंतर है जाना,
मैं पूछता हूँ, उस रात की कोई बात याद है क्या ?
मुझे और मेरी बातें तो बेशक याद ना होगी,
तुम्हें खुद के वो झूठे जज़्बात, याद है क्या ?
ऐसा कैसा बिछड़ना की रक़ीब लौट आया,
तुम्हें उस रात की वो मुलाकात, याद है क्या ?
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