Alok Parashar   (आलोक पराशर)
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Joined 30 November 2017


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Joined 30 November 2017
4 SEP AT 22:09

जिंदगी के जंग में न जाने कितने अरमाँ क़त्ल हुए
कुछ को कफ़न मिला, कुछ बिना कफ़न ही दफ़न हुए।

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28 AUG AT 22:20

मैं जानता हूँ
कविता मुझे खाने को रोटी नहीं दे सकती है
मुझे पहनने को धोती नहीं दे सकती है
और रहने को घर नहीं दे सकती है
किन्तु
मैं फिर भी कविता पढूँगा
मैं फिर भी कविता लिखूँगा
क्योंकि मुझे पता है
जो मुझे कविता दे सकती है
वो कोई और नहीं दे सकता है।

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1 AUG AT 8:05

हम कवियों के भाँति ही
कुछ नदियाँ भी शापित है,
शापित कवि रिक्त हो गए
शापित नदी पवित्र हो गईं

नदी बहती रही —
कवि बुझता रहा —
एक ने सब कुछ धो दिया,
एक ने सब कुछ सह लिया।

दोनों शापित थे,
एक दूसरे से जब भी मिले
एक दूसरे का हाल पूछा
एक दूसरे के दुःख को समझा
और निहाल हो गए।

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31 JUL AT 9:19

तुम्हें पता है,
हम मृतक के लिए
प्रार्थना क्यों करते हैं ?

क्योंकि हम उनके लिए
कुछ और नहीं कर सकते,

और जब हम कुछ कर नहीं सकते तो
ईश्वर से बस प्रार्थना करते हैं,

पर हम जीवित के लिए
कुछ कर सकते हैं,

तो उनके लिए कुछ करें
कुछ और नहीं तो
प्रार्थना ही सही।

हाँ,
पर उनके मृतक होने तक का इंतज़ार नहीं।

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25 JUN AT 23:37

जीवन में
प्रेमी की तलाश हो न हो
एक अच्छे दोस्त की तलाश
सबको होती है।
जिस क्षण हमें जीवन में
एक सच्चा दोस्त मिल जाए
उस क्षण हमारे प्रेम की
आधी तलाश पूरी हो जाती है।

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24 JUN AT 12:28

इंसान जब इंसानित के
पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है,
तब वह देवत्व को छू लेता है।

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19 JUN AT 23:10

मतलब कितना मतलबी होता है।

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19 JUN AT 15:51

मुझे लगता है,
पृथ्वी पर
एक नहीं,
दो सूरज की जरुरत है,
एक तमाम दुनिया के लिए
और दूसरा मेरे लिए।

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15 JUN AT 17:52

कोई तुम्हें गाली दे
तुम रह सकते हो उसके साथ,
कोई तुम्हारी संस्कृति को गाली दे
तुम बिना कुछ सोचे समझे
छोड़ दोगे उसका साथ,
अपनी आत्मसम्मान से अधिक जरुरी है
अपनी संस्कृति का सम्मान।

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14 JUN AT 10:24

जिंदगी कितना अप्रत्यासित है
हम यह नहीं जानते,
हम जिंदगी जीते जरूर है
मगर जिंदगी को नहीं जानते,
हम जानते हैं मृत्यु सत्य है
पर उसे पहचानने से इंकारते हैं
उससे निरंतर भागते हैं,
जन्म और मृत्यु के बीच है ये जिंदगी है
हम यह जानते हैं,
किन्तु जिंदगी का दोनों सिरा
किसके हाथों में है
और ये कितनी लम्बी है
हम यह नहीं जानते,
हम सबको को लगता है
कि हम बहुत कुछ जानते हैं
पर कितना कुछ नहीं जानते हैं
यह हम नहीं जानते है।

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