युद्ध हल नही बात हर किसी को भान है। फिर क्यों बेबसी मे पिस रहा इंसान है।। अहम का टकराव या टकराव ही विकल्प है। सियासती नफा नुकसान का होता यही परिणाम है।।
शब्द हमारे परखें जाए,मोल तोल में जाने जाए। तेरा यदि उल्लेख करें,बैरी भक्त पुकारे जाए।। यदि भगवान नही तू,तो भक्त हुए हम कैसे। लगता होगा उसको यू,जो हमको भक्त बनाय।।
समय पालता है समय मारता है जीवन मे क्या है, कौन जानता है। पलभर जिओ जिंदगी भर जिओ साथ कबतक का है, कौन जानता है। अभी धूप है तो ये जीवन खिला है अंधेरे में क्या है,कौन जानता है। साथ चलना न चलना मुक़्क़द्दर है, कहा तक चलोगे कौन जनता है। उसी की नेकी उसी की रजा है, उसकी रहमत को, कौन जानता है। हम तुम्हारे लिए है ये भी सही है फ़साना ग़र होगा,कौन जानता है। मुस्कुराने की तुम बस वजह ढूंढ लो, आँशुओ का क्या होगा,कौन जानता है। आलोक की ख़बर है किसको यहाँ, मन ईश है भी कोई, कौन जानता है।।
क्रूर करोना ने सबको जब घर में कैदी कर डाला। पूछो इतना क्यों इठलाती घूम रही साकीबाला।। हाले ने तब प्याले से बोला अमर रहेगा मयखाना। बन्द रहेंगे मन्दिर मस्जिद खुली रहेगी मधुशाला।।
समय के फांस में उलझे समय से दूर है हम। प्रेम के अश्क को समझे मगर मजबूर है हम।। लॉकडाउन करोना की कुआं खाई में फसे हम। सुदूर भूख से तड़पे शहर में मजदूर है हम।।