एक इंसान अपने हिस्से की भूख, रोटी बचाकर कमाता है कुछ कागज़ के टुकड़े, और सहेजता है कल के लिए जब, वो हस्पताल में होगा... मरता है, धीरे धीरे मर जाता है हस्पताल में, कोई बताएगा, किसने मारा उसे? और लोग, भगवान का नाम लेते हैं!
कोरोना के फेर में, खेला सत्यानाश चेला लखि आचार्य को, फेल हुए भी पास फेल हुए भी पास, गुरूजी गड़बड़ झाला छापो नंबर एक, मिठाई लाओ लाला दुर्दिन ये आलोक, देश का है ये रोना करके सत्यानाश, मिटेगा तब कोरोना