☞︎𝗔𝗹𝗹 About Poetry✍︎✔︎   (All my shayri not copy.)
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Joined 14 March 2019


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Joined 14 March 2019

जैसे जलजला या सैलाब आया था'
जब वह दुश्मनों के साथ घर के पास आया था।

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मेरे अंदर ख्वाब कई'
तू अखबार है शायद
रोज निकाल आती है एक बात नई

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पानी पीकर भी हिचकियां रुकती नहीं है''
ना आने वाले को हम बहुत याद आते हैं।।

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मेरी हर चीज हर अमानत ले ले कोई ,
बस बदले मे
मेरी नींद की जमानत ले ले कोई।।

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15 MARCH
2013~~~~~~~~2024
मैं मुद्दत से उस तक पहुंचने में लगा हूं,
नाजाने इस कोशिश में जीना पड़ेगा कितना और।

जाने वाले में थी कुछ बात और
उसके बिना जीते हुए हुआ 1 साल और।।

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हम अपने हश्र से इसलिए डर गए हैं ,
क्योंकि मेरे हुकुक मेरे बाप के साथ मर गए हैं।

सिर्फ कागज में सबूत है कि मैं उनकी औलाद हूं,
मुंह पर तो सभी घर वाले मुकर गए हैं।

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कुछ मसला रंग से फितरत से '
या अपने आप का होता है'

कुछ बेटों पर साया बस बाप का होता है।

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फिर साथ रहकर भी इज्जत नहीं मिलती,
कुछ बेटे बस बाप के राज में शहंशाह होते हैं।

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साथ देने वाले तो दिल से साथ देते हैं ,
पैसों के लिए तो तवायफें भी काम करती हैं।

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वो कुछ ज्यादा होश में आ गया है
शायद उसका कोई लौट के आ गया है।

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