कभी सोचा है?
जिसके पीछे भाग रहे हो !
वो मिल गया तो क्या केरोगे?
लगता है जिससे सुकून मिलेगा !
अगर ना मिला तो फिर किधर जाओगे?-
तू आज दिखती नहीं,
तू मुझे क्यों पुकारती नहीं,
क्यों रूठ गई मुझसे इस तरह ,
क्या तुझे मेरी याद आती नहीं!-
समेट लो उन पलों को ,
जो क़रीब हैं ,
एक ही पुकार आती है दिल से,
जब कोई दूर चले जाता है ,
के काश ……..!-
कभी सोचा है ?
ये समंदर सा नीला आसमान ,
ये लहरों जैसे उफनते बादल ,
इनमें खोना एक अलग ही शांति देता है,
मन में उफनते जज़्बातो को,
कितने जुड़े हुए हैं हम इस दुनिया से,
कभी सोचा है?-
जल्दी भागते भागते !
क्यूँ में ठहर सा गया हूँ ?
इतनी भीड़ है चारों ओर !
फिर क्यूँ अकेला हो गया हूँ ?
इतना शोर है कानों में !
पर क्यूँ सुन नहीं पा रहा हूँ?
मुस्कान है चेहरे पर !
फिर क्यूँ रोया जा रहा हूँ?
-
इश्क़ की तलाश में यूँ ही भटक रहा था ,
आख़िर क्यूँ में तुझे हर जगह ढूँढ रहा था,
भूल गया था खुद को किसी गली में यूँ ही,
एक दिन निकला खुद को ढूँढने ,
तुझे उस चौराहे में खुद के साथ बैठा पाया ।
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Still waiting for someone to find me,
Well of the fact that,
I have not found yet myself.
I don’t know the year change do anything to lives,
But yeah if it does,
I am definitely going to get myself.
-
तुझे राह दिखाते दिखाते,
मैंने खुद को जला दिया,
मेरे लिए तो आसान नहीं था,
मेरी राख ने क्या तुझे ,
तेरे मंज़िल तक पहुँचाया ।।
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I burnt myself ,
To lit your way,
You found your path,
Was it worth,
The price we paid?
—
She asked..
-
दूसरों को सुलझने में,
खुद उलझ गए हैं,
क्यूँ इस कदर हम ,
खुद से ख़फ़ा हो गए हैं,
रुक कर ख़ामोश तो होना चाहते हैं,
लेकिन ना जाने क्यूँ हम ऊधम हो गए हैं।-