मेरे ताज सा खुबसूरत,,,
मेरा महबुब है,,,
लोगों की नजरों से खुद को बचाया करो ना,,
काला टीका खुद को लगाया करो ना,,,,,
देखकर तुम्हें सब भुल जाते हैं,,,
गुस्ताखियां यु ही कर जाते हैं,,,,
डर लगता है
कहीं हमारी ही नजर ना लग जाए,,,,
इसलिए खुद को तुम्हें
नजरभर देखने से रोक लेते हैं ,,,,
कातिब का पहला ख्याल हो तुम,,
चांदनी का नुर,,,,,
सितारों की चमक हो तुम,,,,
मेरी जान मेरी आखिरी पसन्द हो तुम,,,,
तुमको देखा उस नज़र से,,
जिस नजर से तुमको नजर ना लगे,,,
नजरों का खेल यु ही बरकरार है,,,
नजर का लगना महज इत्तफाक हैं,,,,,।🧿
ताज से भी खुबसूरत,,,,,
मेरे महबूब की सुरत नजर आती है,,,,।
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