Alka Yadav   (Lafz -e-kavya)
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Writting is my passion
मैं खुद में खुद को ढुंढ रही हुं
खुद के किरदार से रूबरू होने
को
Joined 19 February 2023


Writting is my passion
मैं खुद में खुद को ढुंढ रही हुं
खुद के किरदार से रूबरू होने
को
Joined 19 February 2023
26 APR AT 23:53

इस जहां में रखा क्या है
हर पल मुश्किलों का सफर है
सर पर छत
दो समय की रोटी के लिए
इंसान वक्त से लडता बहुत हैं
ख्वाहिशो की पुंछो मत तुम काव्य
यहां तो जरुरतें भी किस्तों में पुरी होने का मसला है
छोड़ आते हैं घर अपना
सपनों के खातिर
मां का आंचल छोड़ते वक्त वो
ना जाने कितनी बार गिली पलकों
को बहने‌ से रोकता है,,,
इक दिन ख्वाब भी पुरे होंगे और मंजिल भी मिलेगा
मगर मसला तो सही वक्त पर मिलने का है,,
आज जो है
कल वो शायद बिता कल हो जाए,,,,,

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26 APR AT 21:57

याद रखने से ज्यादा अच्छा भुलना है,,
उसकी याद में खामोश होने से रोना अच्छा है
मालुमात हर बदलते रवैए उनके
उन रवैयों से तस्लीम भी करती हुं
उससे दुर होने से उसकी आसीर
होकर सोना अच्छा है,,,
वो तो चाहते है हम शगुफ्ता हो जाए
परिंदा उड़ने से ज्यादा पींजरे में अच्छा है,,,
याद रखने से ज्यादा भुलना अच्छा है
वफ़ा से ज्यादा बेवफा होना अच्छा है,,,,,

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21 APR AT 21:34

हसरत ही रह गई
चाहत ही रह गई,,
कभी ना मुकम्मल होने वाली
मोहब्बत ही रह गई,,
जुबां पर जो आई
वो बात ही रह गई,,
कभी ना खत्म होने वाली
मुलाकात ही रह गई,,
बड़े ख्वाब देखे थे
संग तुम्हारे
ख्वाबों में बुनी सारी बात ही रह गई
बिन तेरे अजियत भरी है सर्द रातें
खुशियों की सारी बरसात ही रह गई
हसरत ही रह गई ,,

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31 MAR AT 17:52

कब से बैठे हैं ताक में उनके
वो आए तो चैन आए
उसको छुकर दिल को सुकून आए
ना जाने कौन सी दवा रखता है पास अपने
बाहों में उसके जख्म सारे भर जाए,,

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8 MAR AT 15:13

सृष्टि का सार तुमसे
तुमसे ही पुरा संसार,,
जननी तुम
पत्नी तुम
कोख में जन्मी बेटी तुम
भाई की दुलारी बहन तुम,,
प्रेमी की प्रेरणा तुम,,
तुम हो महान
आसमां को छुती तुम
हर जंग के लिए तैयार
मंजिल को फतेह करने वाली
पापा का अभिमान तुम,,
कंधे से कंधा मिला
बनाती अपनी अनोखी पहचान तुम
तुम हो औरत महान
तुम्हारा है अलग मुकाम,,,,,
हर रुप में तुम्हारी अलग पहचान,,
भगवान शिव ने दिया सम्मान
लिया अर्धनारीश्वर का अवतार
दिया नारी को समान अधिकार,,
Happy women's day💐
Happy mahashivratri 🙏

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24 FEB AT 0:09

यु ही तय नहीं होता है,,
कितने किरदार से रूबरू होते हैं
कुछ की नसीहतें खास होती है,,
कुछ की जुबां ही अभिशाप होती है,,,
पर सफर फिर भी चलता है,,
कुछ को साथ लिए,,
कुछ को छोड़ दिए,,,
बस यही है ख्यालों से शब्दों तक का सफर ,,,,

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21 FEB AT 13:13

हालातों से परे कुछ होता है क्या
ये हमें समझाए कोई
जिंदगी बस भगाएं जा रही
यु ही मंजिल की खातिर
उलझाए हुए है,,,
ना वक्त पर पाबंदी लगा सकते हैं
ना तकदीर से फेर बदल कर सकते हैं
यु तो जहां में सब कुछ है
मगर हाथ कुछ भी नहीं,,,
कुछ मजबुत है तो
कुछ मजबूर,,,,
कितनो की जिंदगी इस पड़ाव
पर खत्म हो जा रही,,,,,
अब तो दस्तूर दुनिया का
यही हो गया है,,,,,,

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12 FEB AT 18:27

हर बात तुम्हें बयां करना अच्छा लगता है,,,
यु ही तुमको सुनते रहना अच्छा लगता है,,,
करवटें जो बदल रही जिंदगी,,
उसका हरपल तुम्हारे बाहों में ,,,
गुजारना अच्छा लगता है ,,,।

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18 JAN AT 13:38

वो जो बात- बात पर हमें तालीम,,,
सिखाते हैं,,,
हर वक्त उनके रवैए में
बदलाव नजर आते हैं,,,
ना जाने कभी-कभी इतना‌ ,,,
रुखापन कहा से लाते हैं,,,,
कल क्या हो किसने जाना है,,,
मेरे आज में तुम मेरे हो,,,
हर पल मेरे साथ मुस्कुराकर जीओ,,,,
ना जाने तुम्हारे साथ कौन सी मुस्कान आखिरी हो ,,,
और जाना,,,,
हम इतने खुबसूरत तो नहीं की तुम्हें याद आएंगे,,,
मगर जब भी याद आएंगे,,,
लबों पर मुस्कान लाएंगे,,,,
कुछ यु है कि,,
दरिया को अंदाजा नहीं समन्दर की गहराई का,,,
मिल कर उससे एहसास हुआ,,
हर तरह पानी ही पानी है,,,

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16 JAN AT 13:12

मेरे ताज सा खुबसूरत,,,
मेरा महबुब है,,,
लोगों की नजरों से खुद को बचाया करो ना,,
काला टीका खुद को लगाया करो ना,,,,,
देखकर तुम्हें सब भुल जाते हैं,,,
गुस्ताखियां यु ही कर जाते हैं,,,,
डर लगता है
कहीं हमारी ही नजर ना लग जाए,,,,
इसलिए खुद को तुम्हें
नजरभर देखने से रोक लेते हैं ,,,,
कातिब का पहला ख्याल हो तुम,,
चांदनी का नुर,,,,,
सितारों की चमक हो तुम,,,,
मेरी जान मेरी आखिरी पसन्द हो तुम,,,,
तुमको देखा उस नज़र से,,
जिस नजर से तुमको नजर ना लगे,,,
नजरों का खेल यु ही बरकरार है,,,
नजर का लगना महज इत्तफाक हैं,,,,,।🧿
ताज से भी खुबसूरत,,,,,
मेरे महबूब की सुरत नजर आती है,,,,।

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