सिर्फ एकबार गले से लगा लेने दे हमकों
मैं वो फूल हूँ जो मुरझाकर भी खुश्बू देता है...-
isharo me baatein karne me rakkha hi kya hai,
isharo me baatein ... read more
जरूरी नहीं की पर्दा हो आँखों पे,,
गर इंसाँ चाहें तो इक मूरत को भी ख़ुदा कर सकता है।-
क़भी-क़भी इतना सहज लगता है उसकी आँखों में देखना,,
और क़भी-क़भी जैसे लगता है की सब झूठ है।।-
ना बन सकेगा कोई तेरे आँखों की कशिश का राज़दार,,
हमनें अक्सर सादे कपड़ों में अँधेरे को मिटते देखा है।।-
हर सूखे पत्ते की इक अदद अपनी दास्तां है,,
वो टूटता भी तब है जब उसे चाहता कोई नहीं...-
यह बारिशें भी अक्सर रोती है, रात के इक अकेलेपन में,,
अक्सर हौले से बरसती है जब कोई उन्हें ध्यान से सुनता है।।-
सिर्फ एकबार गले से लगा लेने दे हमकों,
मैं वो फूल हूँ जो मुरझाकर भी खुश्बू देता है...-
ढूँढोगी आखिर तुम भी मुझें इन्हीं कहकशा में कभी,
और तब मैं आँखों में बारिश बनकर उतर आऊँगा...-
यूँही नहीं आयेगा ये सितम आँखों में ढूंढे जानें पर,,
कई सदिया लगी थीं तब जाकर कहीं बादल में पानी आया था।।-
वो बारिश में संग भींगना,
साथ चलना दूर तलक और
भीड़ में खो जाना..
याद नहीं आता!
वो पुराना सपना,
मीठी नमकीन यादें,
और बचपन का वो पालना...
याद नहीं आता!
वो खट्टी बेर सी इमलिया,
खारे पानी में तैरती वो छोटी बड़ी मछलियां..
क्या सच में याद नहीं आता??
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