Alisha Zubairi   (Miss Zubairi ❣)
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I'm not professional. Trying to write, Support me 😊
Joined 20 August 2020


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Joined 20 August 2020
12 FEB 2022 AT 12:15

सोचा न था ऐसा भी होगा मेरे साथ
मैं ऐसा भी कुछ महसूस करूँगी तेरे साथ
जब शुरू हुआ था हमारी बातों का सिलसिला
तब जाना न था कि तुम मेरी ज़िंदग़ी का एक अहम हिस्सा बन जाओगे
तुम मेरे दिलों दिमाग़ पर इस क़दर छाओगे कि हर पल तुम ही याद आओगे
इसे दिल-क़शी कहूँ या दिल-लगी
कि अब तो तेरे तसव्वुर के बिना हमें नज़र कुछ आता नही
तलब है कि जी भर कर इन नज़रों से दीदार करूँ तेरा
पर मसला यह है कि परवाज़ अभी बाकी है
यूँ तो कई बातें है आपमें ख़ास जो मैंने कभी कही नही
पर जो आपको और ख़ास बनाता है वो है आपका एहद-ए-वफ़ा
जैसे उस अर्श पर है तो बहुत चमचमाते सितारे
पर उसकी ख़ूबसूरती उस महताब से है
आप बिल्कुल उसी क़मर कि तरह हो जिसमें हो चाहे कितना भी दाग़
पर फिर भी वो अपने रौशनी और ख़ूबसूरती से सबके दिलों पर करता है राज़
बहुत ही ज़हनसीब हूँ जिसे आपका सोहबत मिला
अब इस दरख़्वास्त को तो समझो कि मेरे हयात के मुक़ाम हो तुम
आपकी तारीफ़ में जितने हर्फ़ कहूँ उतने कम है
पर आख़िर में इतना ही कि
आप मेरे और मैं आपकी हमदम— % &

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21 JAN 2022 AT 23:29

मैंने भी है कुछ ख़्वाब बुने,
जिन्हें पूरे करना चाहूँ संग तेरे.

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18 JAN 2022 AT 12:29

आज आँखों में आँसू नहीं दिल में नमी है
हमें ख़ुद ही कहाँ पता ज़िंदगी में उनकी ही क्यूँ कमी है

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14 OCT 2021 AT 8:21

हार कर यूँ ना सब्र खो तू
क़िस्मत पे अपने ऐसे ना रो तू
जो मिला है बस उसकी क़द्र कर
और आँखों में सँजोए है जो सपने वो सच कर

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12 OCT 2021 AT 19:09

नज़रअंदाज़ मुझे करता है वो
ना जाने किसपे मरता है वो
ऐसी क्या तग़ाफ़ुल है उन्हें मुझसे
या फिर कुछ कहने से डरता है वो

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1 OCT 2021 AT 8:31

सपनो की ऊँचाई को अभी छूना बाकी है
हार जाने के डर को हराना बाकी है
तू करेगी फतह हर एक हुनर को अभी
हौसला रख अभी तो उड़ान बाकी है

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18 SEP 2021 AT 23:06

मेरा दिन भी तू, मेरी रात तू
मेरी नींदों का ख़्वाब है तू
मेरा मर्ज़ भी तू, मेरा मरहम तू
मेरी ख़ामोशी का जज़्बात भी तू
मेरी जीत भी तू, मेरी हार भी तू
मेरी लफ़्ज़ों का हर हर्फ़ है तू
मेरा सुख भी तू, मेरा दुख भी तू
मेरी ज़िंदगी का क़िरदार है तू
मेरा इश्क़ भी तू, मेरी रूह भी तू
मेरे जीने का दस्तूर है तू
मेरी ख़्वाहिश भी तू, मेरा ज़िद भी तू
मेरी आख़िरी इंतज़ार है तू

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28 MAY 2021 AT 17:50

थोड़ा प्यार हो, थोड़ा इक़रार हो
मेरी साँसों में तेरा ही ख़ुमार हो
समेट लूँ इन दो लम्हों को अपनी आँखों में
और मुझपे बस तेरा ही इख़्तियार हो

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27 APR 2021 AT 0:25

दूर होके भी तू मेरे पास है
हर घड़ी तेरे होने का एहसास है
तलब है कि जी भर के देखूँ तुझे
ना जाने कैसी ये प्यास हैं

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25 APR 2021 AT 16:25

तेरे मेरे दरमियाँ जो बातें हैं अधूरी
साँसों से जुड़कर क्या होंगी वो पूरी?
तन्हा रातों में खलने लगी है अब ये दूरी
तुझसे मिलकर क्या होंगी वो पूरी?

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