Alisha khan   (🅰🅻🅸🆂🅷🅰 🅺🅷🅰🅽)
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Joined 31 May 2020


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28 MAY AT 22:16

लफ्ज़ों का सहारा लिया, ग़मों से निजात के लिए,,
ग़म इतने मिले, कि लफ्ज़ ही मैं भूल गई....!!

Lafz-e-Allu

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25 MAY AT 12:04

,¡i|¹i¡¡i¹|i¡, 𝗣𝗮𝗿𝘁--3 ,¡i|¹i¡¡i¹|i¡,

सूखे में भी आबशार होती है,, मोहब्बत..

शिकस्ता दिलों में बेशुमार होती है,,
मोहब्बत..

रंजिशों के दहर में बेज़ार होती है,, मोहब्बत..

पुख़्तगी में दिल-फ़िगार की दरकार होती है,, मोहब्बत..

ग़म-ज़दा क़ल्ब से दूर और शाद होती है,, मोहब्बत....!!

𝕃𝕒𝕗𝕫-𝕖-𝔸𝕝𝕝𝕦

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8 MAR AT 21:37

♡٨ﮩ٨ﮩﮩ٨ﮩﮩ٨ﮩ 2 --ᑭᗩᖇT ﮩ٨ﮩﮩ٨ﮩﮩ٨ﮩ٨♡

फ़ुर्क़त के लम्हों में यादगार होती है,, मोहब्बत..
तुम ही तुम पर,, इन्हिसार होती है मोहब्बत..
जख्मों के लिए ,, ख़ारज़ार ,,फ़िर भी
शब-ए-इंतज़ार होती है मोहब्बत..
एहसास-ए-उल्फ़त,,ख्वाहिशें-ए-दिल ,,
मंज़िल-ए-जानाँ की राज़दार होती है, मोहब्बत ....!!!!

▟▛▜▟▛▜▟▛ 🄻🄰🄵🅉-🄴-🄰🄻🄻🅄 ▟▛▜▟▛▜▟▛

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8 MAR AT 9:04

─╤╦︻ Ꝓ𐤠ⱤƬ--1︻╦╤─

खूबसूरत लम्हों का एहसास होती है,, मोहब्बत..
बहुत प्यारी, बहुत ख़ास होती है मोहब्बत..
दूर होता है ज़िन्दगी में,, बहुत कुछ हमसे,,
पर , दिल के सबसे पास होती हैं मोहब्बत..
अश्कों में शामिल,, मुस्कुराहट होती है मोहब्बत..
दिलों पर मुसल्लत,, धड़कन के तार होती है मोहब्बत ......

Lαϝȥ-ҽ-Aʅʅυ

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7 SEP 2024 AT 17:18

🅿🅰🆁🆃☞☞4

धागे की एक डोर में ख्वाबों के मोती पिरोती थी,,
हर सुबह मेरी एक नई ख्वाहिश-सी होती थी,,
मैं टूटे हुए दिलों को जोड़ देती थीं,,,,
मैं हर रात खुद को,,यूंही बिखरा हुआ छोड़ देती थी
हां हां मैं ऐसी थी...,
हां हां मैं ऐसी थी....!!

🅻🅰🅵🆉-🅴-🅰🅻🅻🆄

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7 SEP 2024 AT 17:03

🅿🅰🆁🆃☞⁠ ☞3

किताबो में मैं खोने वाली,,रातों में उठ रोने वाली,,
सुबह के साथ मुस्कुराती थी,, मैं अपनी ही धुन में गाती थी,,
हर उलझन सुलझाती थी,, मैं दिल को मोहब्बत सिखाती थी ,,,,
हां हां मैं ऐसी थी....
सितारों को मैं गिनने वाली हर शब चांद से मिलने वाली,,,,
तीरगी में आंसू छिपाती थी,, मैं हर ग़म को गले लगाती थी,,,,
हां हां मैं ऐसी थी....!!

🅻🅰🅵🆉-🅴-🅰🅻🅻🆄

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7 SEP 2024 AT 13:37

🅿🅰🆁🆃☞⁠ ☞2

बारिश की बूंदों संग मैं खेलूं खुशियां देकर उदासी ले लू,,,,
फिर भी खुद को ख़ामोश ही पाऊं और अंदर ही अंदर शोर मचाऊ,,,,
हां हां मैं ऐसी थी....
गुस्सा जब हो सर पे सवार भूल जाऊ मैं नफ़रत प्यार,,,,
खुद को ही फिर चोट पहुचाऊं अपना ही मैं दिल जलाऊ,,,,
कोई मनाए न जब आकर,,तो,, प्यार से मैं खुद को समझाऊं,,,,
हां हां मैं ऐसी थी....!!

🅻🅰🅵🆉-🅴-🅰🅻🅻🆄

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4 SEP 2024 AT 22:03

🅿🅰🆁🆃☞⁠ ☞1

मैं खोई खोई सी रहती थी,,मैं बादलों से कहती थी,,
मैं हवा के संग भी बहती थी,,
हां हां मैं ऐसी थी..
फूलो में प्यार के रंग ढूंढती सावन के देखो संग झूमती,,
चिड़ियों के साथ चहचहाती थी,,
मैं दर्द में भी गुनगुनाती थी,,
हां हां मैं ऐसी थी......!!

🅻🅰🅵🆉-🅴-🅰🅻🅻🆄

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26 JUL 2024 AT 20:13

आ देख कभी मुझको भी तू ,,

कैसे तड़पू रातों में ..

सुन ज़रा ,, मुझको भी तू ,,

हैं सिसकियां मेरी सांसों में..

कभी गौंर किया है,, तू ने क्या...?

है कितनी खामोशी मेरी बातों में...!!
Lafz-e-Allu

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14 JUL 2024 AT 11:21

चाहूं करना भी कुछ अच्छा , तो बात बिगड़ जाती है...。⁠◕⁠‿⁠◕⁠。
गमों की आदत है मुझे , खुशी मेरे करीब नहीं आती है.....!!
Lafz-e-Allu

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