की हालात मैं समझ सकती हूं
तन्हाई में
मेरी सांसे भी इसी तरह तेज हो जाती
और पेड़ की भांति शरीर के साथ रूह भी हिल जाती
इस तेज हवाओं से जितना खतरा पेड़ उखड़ने होता
उतना ही खतरा प्राण उरेखने का भी रहता...-
अक्सर लोगों को कहते सुना है कि
मोहब्बत और शोहरत मिलते ही इंसान बदल जाता हैं
पर मेरी जिद्दी फितरत तो देखो
अपनी शोहरत हो या फिर मेरी मोहब्बत
मेरे जज्बात नहीं बदल पाया.....-
आपके दुख के भागी और सहभागी सिर्फ और सिर्फ आप ही होते
लेकिन सुख में हर कोई आपके खुद ही शुभचिंतक बन जाते....!!!
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मोहब्बत कितनी भी हो एक दूसरे से
लेकिन सुकून का एक भाग कही और भी होता ही हैं
जो आपको तकलीफ में राहत देता है
वो राहत माशूका से भी नहीं मिल पाता है.....
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मैं जब भी उससे लड़ी हूं
उसके न खुश रहने पर लड़ी हूं
अपना ख्याल न रखने पर लड़ी हूं
पर हाल कुछ ऐसा है
हमने उसे जब जब समेटा हैं
उसने तब तब खुद को किसी और के लिए खुद को सौंपा है
वो खुशियों का मोहताज नहीं
मैने अक्सर झोली में खुशियां भर भेजा है
वो इतना दरिया दिल की उन खुशियों को भी नीलाम कर बैठा है..
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कभी अपना तमाशा भी लगा है
तो कई बार गुम भी हुई हूं....
कभी लोगों की भीड़ हुई है
तो कभी धक्के भी खाई हूं....-
अब जब भी कोई अपने बड़े ढाल बन कर
सामने खड़े हो जाते तो बचपन की धुंधली यादें सामने आ सी जाती और आंखे भी नम सी हो जाती....
हारा मन बच्चा बन जाता
थका दिल जोर से रोने लगता
बेजान सी शरीर में हरारते होने लगती
उस वक़्त दिल बस एक बार फिर बच्चा हो जाना चाहता
जिम्मेदारी समझदारी से अलग बच्चे की भांति
गोद में सिर रख सो जाना चाहता...-