ALISHA   (अलिषा .....)
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Joined 23 May 2020


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Joined 23 May 2020
18 APR AT 23:24

बहुत नोंक झोंक है
बहुत शिकायतें भी आपसे
रहना भी साथ है
और हारना भी नहीं है आपसे
क्या हर बात में आप मुझे आगे रखिए गा और
अपनी man वाली ego को क्या मेरे खातिर छोड़ दीजिए गा

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17 APR AT 22:11

एक तो ये राह मुश्किल,
ऊपर से ये समझदारी की दिक्कत
एक तो ये ज़बान ऐसी कहना चाहो कुछ,
तो उसके हजार मतलब
कहने वालें अपने लगे तो बातों को दिशा मिल जाए
वरना बातों के बतंगड़ होने का दिक्कत

जहां हद से ज्यादा वक्त खर्च करो
वहां एहमियत खो दिया सबने
जिस पर लुटाया न हो ईमान अपना वो हमदर्द बन जाये

इतने रस्में इतने कसमें सब झूठे हो जाये गर
कोई हो जो उतना ही बोले जितना कर पायें वो

दिलासा दे कर फिरंगी न बन जाए
हर दिन घुट घुट कर मरना ना जिसको भाये
ये फ़रेबी की बस्ती में कोई फरिश्ता तो नज़र आएं

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25 DEC 2023 AT 23:34

मुझे भी अंधेरे को अपना घर कहना है
उजाले की चाह रखने वाले को भी एक दिन
उसी आग में जल कर खुद को दफ़न करना है
उस आग की धधकती चिंगारी उस चांद को क्या ताप देंगी
चांद ने उसकी गर्माहट को ठंडा कर देना है
मुझे भी उसके साथ चलना है
उसकी शीतलता को एक बार महसूस करना है
इतनी ठंडक मेरे दिल में भी भर दे वो‌ ज़रा
लोगों के तानों से फर्क ना पड़े मुझे भी यहां

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20 DEC 2023 AT 20:49

कि नैनों की भाषा क्या है
इस दिल को छू ले जो
वो परिभाषा क्या है
मुहब्बत की सीढ़ी पर
ये नुकीले कांच जो बिखरे से है
गुलाब की पंखुड़ियां है.... या,
उसपर खून का निशान लगा है
पूछों कोई इससे भी ज़रा
क्या इसे हर हकीकत पता है !

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16 DEC 2023 AT 23:05

कुछ बदलाव ऐसे हैं
जो बस मुझे महसूस हो रहें हैं

लगता है अब मतलब बस मुझे है इस रिश्ते से
किसी और को इस रिश्ते की फ़िक्र नहीं है अब

लगता है रिश्ते की मौत करीब है
तभी तो अकेले हाथों पर बेहोश पड़ा है

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12 DEC 2023 AT 12:51

हमारे रिश्ते की डोर अभी पक्की नहीं है
मांझे की गांठें अभी सुलझीं नहीं है

दूरी ने दरार लाई है इतनी
कि भरोसे की दीवार चटकी हूई है

खामोशियों ने बदला नहीं मेरा नसीब अब तक
बोलती हूं तो शुकून है कि मैं बेबस नहीं हूई हूं

यकीन की दौलत का कोई रसीद नहीं होता
लफ़्ज़ों से जो जीवन तक उतरें वो ही वादा सच्चा

रिश्ता बनाना जितना आसान है यहां
निभाना मुश्किल है उसको उतना

अपने वादे को निभाना नितेश
मुश्किल है पर नामुमकिन तो नहीं ना।

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25 SEP 2023 AT 23:01

ढंग नयी हो या नया हो आवरण
मौसम बदले तो बदल जाता है अपनापन

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11 MAY 2023 AT 0:30

दोस्ती का मर्म हमें न बताया जाय,
हमनें मोती से कीमती यार तक को बदलते देखा है।

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20 MAR 2023 AT 22:11

एक छोटी खिड़की से दिन रात तकते रहती हूं,
धूप-आंधी, हवा -पानी न जाने कितने मौसम तकती हूं।

कोई इल्ज़ाम लगाता है कोई ताना दे जाता है,
मैं सबको सुनती हूं और भूलती चलती हूं।

कोई मंजिल कहता है कोई मुसाफिर बना जाता है,
जिसे जैसा मेहसूस होता है वो वैसा बताता है।

मैं आंसू छुपाया करती हूं मैं मुस्कुराया करती हूं,
कोई पूछे तो रुकती हूं, फिर पानी सी बह जाया करती हूं।

मेरे सवेरे मेरे सपने हैं मेरी राते मेरी उम्मीद,
दोनों मेरे राहों में है और मैं उन्हें साथ लिए चलती हूं।

कहते है वक्त मुठ्ठी में नहीं होता,तभी तो,
मैं अपनी खामियां चुनती हूं और धागे में पिरोये चलती हूं।

चाहती हूं जिसका साथ उसे साथी नहीं कह पाती,
सब को खुश रखने के खातिर मैं खुश नहीं रह पाती।

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24 DEC 2022 AT 21:24

मन का मैल ना धोना आए
तो कहते दोषी संसार है
छल कपट निंदा घृणा
ये सब मनुष्य के हथियार है
देव जिसने देह दिया है
वो ना जान पाया कौन नीच और कौन महान है
कर्म बताता है सबका की कौन यहाँ परशुराम है
मिट्टी में जब तन मिल जाए
अस्थि पर जब राम नाम गूंज जाए
लोग खड़े हों दाह संस्कार के ख़ातिर
अधरो पर जब कर्म गुनगुनाए
जिस उद्देश्य से आए वो सब पूरा कर जाए
उस दिन ही तुम सफल बनोगे
उस दिन ही तुम मुक्त मिलोगे
वहीं खत्म होगा ये राग
वहीं दफन होगा लोगों का विलाप

'राम नाम सत्य है सब का यहि गत्य है '

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