लचकती शाख़ें ये सब्ज़ पत्ते तुम्हारी ख़ातिर तो बस शजर है,
किसी परिंदे से पूछना एक शाख़-ए-नाज़ुक पे कितने घर हैं!
لچکتی شاخیں یہ سبز پتے تمہاری خاطر تو بس شجر ہیں
کسی پرندے سے پوچھنا ایک شاخ نازک پہ کتنے گھر ہیں
-
Expressing... read more
हर काविश-ए-बेसूद का हासिल है ग़म-ए-दिल!
हर अर्ज़-ए-तमन्ना के मुक़ाबिल है ग़म-ए-दिल!
हर ख़्वाब पशेमां है मेरी आंख में आकर,
हर ख़्वाब की ताबीर में हा'इल है ग़म-ए-दिल!
ہر کاوش بے سود کا حاصل غم دل
ہر عرض تمنا کے مقابل ہے غم دل
ہر خواب پشیماں ہے میری انکھ میں آکر
ہر خواب کی تعبیر میں حائل ہے غم دل-
कश्तियों से उतर जाने दे अब!
डूब कर मुझको मर जाने दे अब!
एक मुद्दत से रोया नहीं हूं,
दर्द से दिल को भर जाने दे अब!
ज़िंदगी मौत है तेरी मंज़िल,
धड़कनों को ठहर जाने दे अब।
अब संवरने की चाहत नहीं है!
टूटने दे, बिखर जाने दे अब!
यूं न बंदिश लगा कोई दिल पर,
चाहता है, जो कर जाने दे अब!
सुब्ह फिर से समेटेंगे ख़ुद को !
रात यूं ही गुज़र जाने दे अब!
इस क़दर भी ख़फ़ा हो न मुझसे,
बात है मुख़्तसर, जाने दे अब!-
Happy Holi
चमन में रंग-बिरंगे फूलों का खिलना ज़रूरी है।
दरख़्तों पर परिंदों का बने रहना ज़रूरी है।
फ़क़त हो रंग नारंगी तो होली का मज़ा क्या है!
हरे नीले गुलाबी रंगों का मिलना जरूरी है-
दोस्त अहबाब तरफ़दार बदल जाते हैं!
सब यहां ठहरे अदाकार, बदल जाते हैं!
उंगलियां यूं तो उठाते हैं सभी औरों पर,
अपनी बारी हो तो मे'यार बदल जाते हैं!-
तुम मेरे ख़ुशगवार लम्हों में
दर्द की टीस में तुम आहों में!
ज़िन्दगी की उदास राहों में,
ज़ीस्त की शब में और सवेरों में!
तुम मिले ख़्वाहिशों के मेलों में।
साज़ में गीत में तरानों में
अनकहे अनसुने फ़सानों में,
नींद में ख़्वाब में ख़यालों में,
बादलों बारिशों हवाओं में,
तुम मिले मुझको आसमानों में।
साहिलों कश्तियों किनारों पर,
दश्त-ओ-दामन में और जज़ीरों पर,
झिलमिलाते हुए सितारों पर,
माह-ए-नव की हसीन शामों में,
तुम मिले मुझको कहकशांओं में!-
ख़्वाबों से खिलौनों से ये बहलाए हुए लोग,
दुनिया की रसूमात से उकताए हुए लोग,
इक दर्द लिए फिरते हैं सीने में शब-ओ-रोज़
इस शहर के बाज़ार से घबराए हुए लोग!
आंखों में किसी ख़्वाब का साया भी नहीं है,
जाएं तो कहां जाएं ये ठुकराए हुए लोग!
वो ख़ुश्क गुलाब अब भी किताबों में रखे हैं,
ख़ुश आएं नज़र कैसे ये मुरझाए हुए लोग।-
जिनमें पत्ते फूल नहीं बस कांटे हैं,
ऐसे पौधों को भी पानी देते हैं!
جن میں پتے پھول نہیں بس کانٹے ہیں
ایسے پودھوں کو بھی پانی دیتے ہیں-
गुज़ारें किस तरह से ज़िंदगी अब!
नहीं होती किसी की बंदगी अब!
शिकायत हो किसी को भी न मुझसे,
कहां से लाऊं इतनी आजिज़ी अब!
گزاریں کس طرح سے زندگی اب
نہیں ہوتی کسی کی بندگی اب
شکایت ہو کسی کو بھی نہ مجھ سے
کہاں سے لاؤں اتنی عاجزی اب-
रात गहरी है बहुत दीप जलाते रहिए।
ज़ुल्म का दौर है आवाज़ उठाते रहिए।
क्या ख़बर शम्स भी कल हमसे ही साया मांगे
हो ज़मीं कैसी फ़क़त पेड़ लगाते रहिए!-