थोड़ी बेईमानी कर लो
दिल आज मचलने को बेकरार है
चलो थोड़ी शैतानी कर लो
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कि तुम होती तो हाल-ऐ-दिल और भी अच्छा होता।"
● 🅿🅰🅷🅰🅳🅸... read more
रिश्तों को मुनाफ़े में तोलता है
इश्क़ मोहब्बत सब बेकार की बात है
बस उगते सूरज को सलाम बोलता है-
जो वो हमें नही मिला है
थोड़े में ही खुश रहना जानते है हम
ज़िंदगी का यही एक सिलसिला है-
इश्क़ पर पहरा बैठा दिया जाए
जमाने के दस्तूर के सामने खड़े है जो
उन सभी सिरों को झुका दिया जाए
पर ये सभी नासमझ है
इश्क़ की जुबां को नही जानते
इश्क़ के दरिया में जो डूब चुका वो भी
इस ज़माने की दीवारों को नही मानते
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थोड़ा धीरज तो धरो
जीवन की परेशानियां, टल ही जाएगी
घनघोर अंधेरे के बाद रोशनी खिल ही जाएगी-
हम तो गुनाहगार दिखे सबकों
पर तुम्हें किस बात का गम है
हमारी मोहब्बत की कीमत जिसने चुकाई
वो नासमझ तो दरअसल हम है
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साँसे उतनी ही चलनी है
प्रेम दिखा लो जितना बेशक
जलने वालो की फिर भी जलनी है-
जो वक़्त के साथ नही भरते है
हम कितना भी करले इंकार बेशक
फुरसत में अब भी तुझको याद करते है-
अंतर्मना शांत हो जाता है
जो पूछ लो कैसे हो तुम
इतना पूछने में तुम्हारा क्या जाता है-
हमारी बातों के शब्द बेशक हल्के हो सकते है
पर अर्थ बहुत ही गहरा है
वैसे तो दुनिया में बहुत चेहरे है
पर जिस पर अपनी नज़र टिकी, वो तुम्हारा ही चेहरा है-