हम उनके सितम के गवाह आप बनेंगे ।
"गुफ़्तगू ए दकियानूस", ना हम वो इंसान नही।।-
Lafzon Se Khelta Hun, Lafzon Ko Jodta Hun
Gair Mu... read more
Hum apne jakhm e naasoor ki dawa aap karenge
Aap ke marham e mashwira ka shukriya
हम अपने जख्म ए नासूर की दवा आप करेंगे
आप के मरहम ए मशविरा का शुक्रिया
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फैलाओ आग, के दुनिया राख होने को है
जमीन पस्त और आसमान रोने को है
जो थे खाक मे दफन, सुराग होने को है
देखो हमदम हम फिर से खराब होने को हैं।।
आग (अफवाह)-
लड़ते रहे उम्र भर हम, वज़ह रही जबर जेर की
मैं मुरीद ए गालिब ठहरा, सनम मेरी मीर की।
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ज़िन्दगी नामुक़म्मल, ना मुक़म्मल इश्क़ ही
रौशनाई जहाँ भर की, मुझे क़ुबूल तीरगी-
Dedicated to my father;
उनको बाहों में भिंच कर मैं सो गया था
मानिंद एक लम्हे को कई लम्हा पिरो गया था
आंखें उनकी भी भर आयी थी वस्ल ए जुदाई पर
मैं भी कतरा दो कतरा रो गया था
उनकी याद मुझको दफ़अतन मुझमें मिलती है
उनसे बिछड़ के मैं तो खुद को कहीं डुबो गया था-
इश्क़ जो है हुआ तुमको, मय में अब डूबा करोगे
यार का दामन जो छूटा, इश्क़ से तौबा करोगे
शायर हुए जा रहे हो, हर शब अब रतजगा करोगे
अच्छे भले तो थे अल्फाज़, तुम तो अब नाहक मरोगे-
प्रेम या रिश्ता
हाँ मैं मुस्कुराता हूँ, तुम्हे देखकर
हर बार, तुम्हें एक अलग रूप में
एक अजीब सी कशिश होती है मुझमें
सच कह रहा हूँ, पता नही क्यों, बस ऐसा है।
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