अक्सर मन्नत के धागे बाँध लेति हु मैं तेरे नाम से
ना जाने कब, कौन सी दुआ मुक्कमल हो जाये
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कारगिल दिवस
ना जाने कितने सपूत पंचतत्व में विलीन हुए
कितने वालिद सुपर्द-ए-खाक हुए
युही नही मिली थी वतन-ए-अज़ीज़ को आजादी
कितनों की हाथों की चूड़ियां
ओर कितनो के माथे का सिंदूर वीरान हुए
निबाह के अपना इश्क़ चमन-ए-हिंदुस्तान से
शहादत के इस इतिहास मे, तुम चिरंजीव हुए।।।
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आरज़ी सी ये जिंदगी, फसी छोटी सी बातों में है
मुंतज़र है हम खुशियों के, पर कैद बेकाबू हालातो से है
जो आज है, वो कल नही , तू किस बात पर उदास है
दो घड़ी चैन से सांस तो ले, खुदा जो तेरे साथ है....
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While ten people were sitting in hall
Two eyes were struggling to get hold
Arrange marriage doesn't seem arrange any more....!! 💖💖💖
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कश्मीर
सदियां बिता दी बस इसी एक फ़साने में
की जन्नत ही उजाड़ दी, जन्नत को पाने में
ताउम्र करते रहे जिसकी खूबसूरती की चर्चा
बाज ना आएं तुम उसी का लहू बहाने में-
ज़िन्दगी का आधा सफर बीत गया,
आधा अभी बाकी है
आने वाले सफर में मेरे हमसफर बनोगे क्या ?
वैसे चाय मैं अच्छी बना लेती हूं ,अदरक वाली,
तुम पीयोगे क्या??-
मैंने इश्क़ लिखा, तो तेरा नाम लिखा
मैंने वस्ल लिखा, तो तेरा एहसास लिखा
मैंने दर्द लिखा, तो तुझको ही मरहम लिखा
मैंने हिज्र लिखा, तो तेरा अरमान लिखा
मेरी स्याही ने कोरे कागज पे, बस तुझको ही मेरी जान हर बार लिखा...
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हम बहाये अश्क़ तो वो जज़्बात है
वो जो झलकाये आँशु , तो महापाप है??
नाकामी हमारी सफलता के लिए प्रयास है,
असफलता उनकी तो जैसे कोई घोरअपराध है??
किसे सुनाये वो अपने हाल-ऐ-दिल की हकीकत
महफ़िल में जो रो दिया, वो कहा मर्दजात है??
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रूठी होंगी रातें भी, भीगी होंगी आँखे भी,
पल पल दिल मे टीस उठेगी, धुंदली होंगी यादे भी,
हो सकता है महज गुस्सा हो,
हो सकता है रिश्ता ही कच्चा हो,
हो सकता है दिल संभल ना पाए,
हो सकता है रूह कांच की तरह टूट जाए,
पर बोलो कब तक तुम यू शोक मनाओगे
हिज्र का गम कब तक यू उठाओगे
जो चला गया, वो चला गया
कब तक तुम वियोग में अश्क छलकाओगे...???
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कंधे पे तेरे सर रखकर नींद का ढोंग रचू,
आज भी बईमानी वही है,
थाम के तेरा हाथ,
नाम ढूढूं अपना तेरी हथिलियो में,
आज भी नादानी वही है,
तू सजदे में मेरे, हर दुआ में शामिल है तू
बाँध दूं तेरे नाम से मन्नत के धागे,
आज भी अरमान वही है....
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