लिख तो लेंगे तुम्हें पर अफ़सोस बयां कैसे करें,
मोह्बत है आप से,बेइंतेहा
पर अफ़सोस अपनी मोह्बत साबित कैसे करें_।।-
दिल तो मैं खुद का खुद ही दुखता हूँ।
ना जाने मतलबी दुनिया के दौर मे,
क्यों सबसे उम्मीद लगाए बैठा हूँ ।— % &-
आज फिर एक खत लिख रहा हूँ
मेरी हर सांस तेरे नाम लिख रहा हूँ!
याद आऊं तो कर लेना याद
तेरी याद मे,मैं ये खत लिख रहा हूँ।।-
मैं गुमसुम सा कागज़,खुद पे कुछ लिख रहा हूँ ।
अब मोहब्बत नहीं तुमसे,ये क्या लिख रहा हूँ !!-
लिखें कई किस्से हमारी ज़िंदगी के भी
पर अफ़सोस अधूरी मोहब्बत का किस्सा
आज भी अधूरा है_।।-
होठों मे लफ्ज दबा कर आँखों से बोल रही हो_
मोहबत का तो पता नहीं ग़ालिब!
पर हक़ पूरा जाता रही हो_।।-
दूर हो हमसे पर हर सांस मे हो तुम_
सर्द मौसम मे सुनहरी धूप का एहसास हो तुम_
मेरे जान मान भी जाओ ना_ कि
मेरे लिए बहुत खास हो तुम_☺️☺️।।-
लोग जिस्मो की बात करते है ग़ालिब !
मेरी तो रोज़ उनसे रूहानी मुलाकात होती है_।।-
हाले दिल मैं तुझपे मरता रहा_
बेसब्र हो कर तुझसे प्यार करता रहा_।
शायद लिखें ही नहीं गए थे तुम हमारे नसीब मे_
मैं हाले दिल फिर भी तुझे दुवावों मे मांगता रहा_।।-